नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अरावली पहाड़ियों की पर्यावरणीय संवेदनशील परिभाषा तय करने के लिए दो महीने की अंतिम समयसीमा दी है। यह आदेश अवैध खनन के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए दिया गया है।
अरावली पहाड़ियां भारत की एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिक संरचना हैं, जिन्हें संरक्षित करना आवश्यक माना जाता है। अदालत ने केंद्र सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि पर्यावरण संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए अरावली की स्थायी और स्पष्ट परिभाषा तैयार की जाए।
अदालत की इस सख्त टिप्पणी के बाद केंद्र सरकार पर संरक्षण को लेकर दबाव बढ़ गया है। इस दिशा में शीघ्र कार्यवाही की उम्मीद है क्योंकि अरावली क्षेत्र में जारी अवैध खनन से गंभीर पर्यावरणीय क्षति हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। पूरे देश की निगाहें अब केंद्र सरकार की ओर हैं कि वह अदालत की बात को गंभीरता से लेते हुए अरावली की परिभाषा को जल्द से जल्द अंतिम रूप दे।
मुख्य बिंदु:
- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को अरावली की पर्यावरणीय परिभाषा तय करने का आदेश दिया।
- अवैध खनन की घटनाओं में लगातार वृद्धि देखी गई।
- अरावली पहाड़ियां एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिक संरचना हैं।
- पर्यावरण संरक्षण के लिए स्पष्ट और स्थायी परिभाषा आवश्यक।
- केंद्र सरकार को दो महीने की अंतिम समयसीमा दी गई है।
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