नई दिल्ली। भारत सरकार 75 वर्षों की आज़ादी की यात्रा का जश्न मना रही है, जिसे ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के नाम से जाना जा रहा है। इस अवसर पर, डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के संवैधानिक सिद्धांतों और उनके योगदान को विशेष रूप से याद किया जा रहा है।
अम्बेडकर ने भारत के संविधान को तैयार करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो देश की विविधताओं और लोकतांत्रिक मूल्यों का संरक्षण करता है। उनका संवैधानिक दृष्टिकोण सामाजिक न्याय, समानता और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित था, जिसने भारतीय समाज में सकारात्मक बदलाव की नींव रखी।
आज भी उनके संविधान निर्माताओं के आदर्श हमारे लोकतंत्र की स्थिरता और विकास के लिए मार्गदर्शक हैं। सरकार द्वारा चलाए जा रहे ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रमों के माध्यम से अम्बेडकर के विचारों और संवैधानिक सिद्धांतों को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का प्रयास किया जा रहा है।
यह पर्व देशवासियों को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करता है, और राष्ट्रीय एकता को मजबूत बनाता है।
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