नई दिल्ली। भारत की अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 2025 की अंतिम तिमाही में 7.4% की मजबूती से वृद्धि दर्ज की है। इस तेजी के पीछे मुख्य कारण रहे हैं ब्याज दरों में कटौती और मुद्रास्फीति में नियंत्रण।
मौजूदा आर्थिक हालात और चुनौतियां
हालांकि, वैश्विक स्तर पर मौजूद अनिश्चितताएं और निजी निवेश में सुस्ती मध्यम अवधि के लिए चुनौती पैदा कर रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन जोखिमों से निपटने के लिए आवश्यक है कि भारत अपनी आंतरिक सुधार योजनाओं पर विशेष ध्यान दे और घरेलू अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाए।
भारतीय रिजर्व बैंक की नीतियां
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो रेट और कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में की गई कटौतियां बाजार की जरूरतों के अनुरूप समय पर उठाया गया कदम माना जा रहा है, जो आर्थिक सुधारों को गति देगा।
आगे का शुरुआती रास्ता
इस स्थिति में घरेलू आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना और निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना अत्यंत जरूरी है, जिससे भारत वैश्विक आर्थिक दबावों का सामना कर सके।
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