नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2025 (FY25) में भारत की जीडीपी 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ $3.9 ट्रिलियन तक पहुंच गई है। इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के पीछे घरेलू उपभोग की मजबूती और सार्वजनिक निवेश की तगड़ी भूमिका रही है।
विशेषज्ञों ने इस सफलता के बावजूद विश्व आर्थिक माहौल में बने कुछ नकारात्मक पहलुओं को लेकर चेतावनी दी है, जो आने वाले वित्त वर्ष 2026 (FY26) में निवेश में धीमी गति ला सकते हैं।
वैश्विक चुनौतियाँ
- वैश्विक मांग में अनिश्चितता
- राजनीतिक तनाव
- वित्तीय बाजारों में अस्थिरता
ये कारण भारत की विकास दर पर दबाव डाल सकते हैं। इसलिए, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए नए निवेश और निर्यात गतिविधियों को बढ़ावा देना होगा। इससे आर्थिक वृद्धि की गति को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
फिलहाल FY25 के आंकड़े भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति को दर्शाते हैं, परंतु FY26 में वैश्विक चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों की वजह से ग्रोथ रेट पर संदेह भी बना हुआ है।
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