नई दिल्ली। भारत ने चीन द्वारा दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन में दखलअंदाजी की कोशिशों को स्पष्ट रूप से ठुकरा दिया है। सरकार ने कहा है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार केवल दलाई लामा और उनके संस्थान का है। यह मामला एक धार्मिक और संस्थागत विषय है, जिसमें किसी अन्य देश या संगठन का दखल देना उचित नहीं है।
भारत के अधिकारियों ने जोर दिया कि दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना का सम्मान आवश्यक है क्योंकि यह सीधे धर्म और संस्कृति से जुड़ा हुआ है। इस बयान से भारत ने न केवल चीन के हस्तक्षेप का विरोध किया बल्कि स्वतंत्र धार्मिक संस्थानों के अधिकारों की भी रक्षा की है।
विशेष रूप से प्रमुख बिंदु:
- दलाई लामा के उत्तराधिकारी चयन का अधिकार पूरी तरह से धार्मिक संस्थान का होता है।
- किसी विदेशी देश की दखलअंदाजी धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है।
- भारत की इस स्थिति से चीन-भारत सम्बन्धों में तनाव की संभावना बनी है।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दलाई लामा को एक धार्मिक और मानवीय नेता के रूप में सम्मानित किया जाता है।
- भारत की कड़ी विदेश नीति धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की रक्षा पर आधारित है।
यह कदम भारत की विदेश नीति की सख़्ती और स्पष्टता को दर्शाता है और धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। इसी के साथ, यह चीन के साथ संबंधों में एक नई चुनौतियाँ भी ला सकता है।
Stay tuned for Deep Dives for more latest updates.
ज़्यादा कहानियां
नई दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुभांशु शुक्ला के अंतरिक्ष से लौटने पर कही बड़ी बात
दिल्ली में खुला Tesla का पहला शोरूम, $70,000 मॉडल Y से मचेगी धूम!
दिल्ली में टेस्ला इंडिया का धमाकेदार आगाज, $70,000 की Model Y से मस्क की ब्रांड पावर का बड़ा टेस्ट