नई दिल्ली की अदालत में न्यायमूर्ति कांत ने मानवाधिकारों के मामलों में भारत पर हो रहे अनाधिकृत हमलों पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है। न्यायमूर्ति कांत ने यह संकेत दिया कि किस प्रकार कुछ अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय प्लेटफार्मों द्वारा भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इन हमलों का उद्देश्य केवल भारत की छवि को नुकसान पहुंचाना है, न कि वास्तविक तथ्यों पर आधारित चर्चा करना।
न्यायमूर्ति कांत का मुख्य बिंदु
- विदेशी और कुछ स्थानीय एजेंसियां भारत के मानवाधिकार इतिहास को गलत तरीके से पेश कर रही हैं।
- ऐसे प्रयासों से देश की न्यायपालिका और शासन व्यवस्था पर अविश्वास फैलाने का खतरा है।
- भारत में मानवाधिकार संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास हो रहे हैं और इसमें उल्लेखनीय सुधार हुए हैं।
- समाज में एकजुटता और सहिष्णुता बढ़ाने की आवश्यकता को भी बल दिया गया।
न्यायमूर्ति कांत की इस टिप्पणी को देश की संप्रभुता और न्यायिक प्रणाली की विश्वसनीयता को बनाए रखने के प्रति एक महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति माना जा रहा है।
भारत सरकार और न्यायपालिका इस मुद्दे पर सतर्क हैं और ऐसे किसी भी अनधिकृत हमले का प्रभावी जवाब देने हेतु तैयार हैं। मानवाधिकारों की रक्षा करना और देश में लोकतंत्र की मजबूती बनाए रखना शीर्ष प्राथमिकता बनी हुई है।
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