नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में भारतीय ज्ञान प्रणाली पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि इस्लामी और ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय ज्ञान और सांस्कृतिक विरासत को बाधित किया।
उपराष्ट्रपति ने बताया कि भारत की समृद्ध ज्ञान प्रणाली को इन दो राजनैतिक शक्तियों के शासनकाल में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने यह भी जोर दिया कि आधुनिक भारत को अपनी प्राचीन ज्ञान परंपराओं को पुनः प्राप्त कर वैश्विक स्तर पर पुनः स्थापित करने की आवश्यकता है।
सम्मेलन का उद्देश्य और प्रमुख बातें
- भारतीय ज्ञान प्रणाली की विविधता और समृद्धि को समझना।
- भविष्य के लिए संरक्षण और संवर्धन के उपायों पर चर्चा।
- विद्वानों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं द्वारा संरक्षण और विकास के महत्व पर राय साझा करना।
उपराष्ट्रपति ने शिक्षाविदों और छात्रों से आग्रह किया कि वे भारतीय ज्ञान प्रणाली को पुनर्जीवित करने में अपना योगदान दें और इसे विश्व का नेतृत्व करने वाला मॉडल बनाएं।
यह कार्यक्रम भारतीय सांस्कृतिक और ज्ञान परंपरा के पुनरुद्धार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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