प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में कांग्रेस के खिलाफ 1975-77 के आपातकाल को लेकर तीखी आलोचनाएं कीं। उन्होंने कहा कि उस दौर में देश किस प्रकार संकट में था, इसे किसी भी भारतीय नागरिक से छिपाया नहीं जा सकता।
प्रधानमंत्री के मुख्य बिंदु
- कांग्रेस ने आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की आत्मा को चोट पहुंचाई।
- आपातकाल की घटनाओं को इतिहास की कड़वी यादों के रूप में याद रखना जरूरी है।
- भारतीय लोकतंत्र की मजबूती के लिए ऐसे समय की पुनरावृत्ति रोकनी होगी।
- पीएम मोदी ने कांग्रेस की नीतियों पर सवाल उठाते हुए जनता को सचेत रहने की सलाह दी।
- उनके भाषण ने विपक्षी दलों को भी निशाना बनाया और लोकतंत्र की महत्ता को रेखांकित किया।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
यह भाषण देशभर में राजनीतिक बहस को तेज कर दिया है। कई राजनीतिक विश्लेषक इसे आगामी चुनावों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण रणनीति मान रहे हैं। साथ ही, इस भाषण को लोकतंत्र के संरक्षण और जागरूक नागरिकता की अपील के रूप में देखा जा रहा है। यह कदम सरकार की तरफ से लोकतंत्र की मजबूती और नागरिकों की सक्रिय भागीदारी के लिए एक सशक्त संदेश है।
पीआईबी और अन्य सरकारी स्रोतों के अनुसार, यह भाषण जनता को लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति जागरूक बनाने का एक प्रयास है, ताकि भविष्य में आपातकाल जैसी परिस्थितियों से बचा जा सके।
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