नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में जोर देकर कहा कि भारत भाषा के आधार पर विभाजित नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि हमारी देश की विविधता हमारी ताकत है, लेकिन भाषा के नाम पर मतभेद भारत के विकास में बाधा डाल सकते हैं।
उपराष्ट्रपति ने यह बात विभिन्न भाषाई समुदायों के बीच भाईचारा और एकता बनाए रखने के महत्व पर बोलते हुए कही। उन्होंने सभी भारतीयों से आग्रह किया कि वे भाषा के आधार पर विभाजन की बजाय एकता और सहयोग को बढ़ावा दें। धनखड़ ने कहा कि भारत की सच्ची पहचान उसकी एकता और साथ मिलकर काम करने की क्षमता में निहित है।
यह बयान देश में भाषाई विवादों और बहसों के समय में एक मजबूत संदेश के रूप में आया है। उन्होंने कहा कि सरकार और समाज दोनों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि भाषा के कारण कोई भी सामाजिक या राजनीतिक विभाजन न पैदा हो।
उपराष्ट्रपति के इस भाषण ने देश की एकता के महत्व को पुनः याद दिलाया है।
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