नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने हाल ही में बताया कि निर्देशात्मक सिद्धांत न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं। न्यायाधीश गवई ने संविधान के अनुच्छेद 32 को संविधान का दिल और आत्मा बताया, जो नागरिकों को उनके मूलभूत अधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचने का अधिकार प्रदान करता है।
यहाँ अनुच्छेद 32 के महत्व को समझना आवश्यक है क्योंकि यह प्रावधान नागरिकों को एक सशक्त सुरक्षा कवच प्रदान करता है, जो संविधान की सम्पूर्णता और सुरक्षा को दर्शाता है। न्यायाधीश ने यह भी बताया कि निर्देशात्मक सिद्धांत:
- राज्य नीतियों को दिशा देते हैं।
- सामाजिक न्याय की स्थापना में अहम भूमिका निभाते हैं।
- न्यायपालिका और सरकार दोनों के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होते हैं।
इसके अलावा, न्यायाधीश ने कहा कि इन सिद्धांतों को ध्यान में रखकर कार्य करने से सभी नागरिकों के अधिकारों के संरक्षण में कोई कमी नहीं रहेगी। इस अवसर पर न्यायिक व्यवस्था के महत्व और संविधान की गहन समझ पर भी विशेष प्रकाश डाला गया।
न्यायपालिका के इस दृष्टिकोण से यह स्पष्ट है कि संविधान का हर प्रावधान नागरिकों के लिए न्याय की गारंटी देने वाला है। इसके माध्यम से नागरिकों को न्याय की सीधी पहुँच मिलती है, जिससे न्याय व्यवस्था और भी पारदर्शी एवं सशक्त होगी।
निष्कर्ष:
- निर्देशात्मक सिद्धांत न्याय की गारंटी में सहायक हैं।
- अनुच्छेद 32 नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है।
- न्यायपालिका और सरकार को मिलकर न्याय संरक्षण सुनिश्चित करना चाहिए।
Stay tuned for Questiqa Bharat for more latest updates.
ज़्यादा कहानियां
नई दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुभांशु शुक्ला के अंतरिक्ष से लौटने पर कही बड़ी बात
दिल्ली में खुला Tesla का पहला शोरूम, $70,000 मॉडल Y से मचेगी धूम!
दिल्ली में टेस्ला इंडिया का धमाकेदार आगाज, $70,000 की Model Y से मस्क की ब्रांड पावर का बड़ा टेस्ट