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संसद की एक समिति ने नकली खबर से निपटने के लिए एक स्पष्ट और वैधानिक परिभाषा की माँग की है, जिससे इस मुद्दे से जुड़ी चुनौतियों का अधिक प्रभावी ढंग से सामना किया जा सके। नकली खबर ने हाल के वर्षों में सूचना के प्रसार और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को प्रभावित किया है, और इसे नियंत्रित करने के लिए संतुलित उपायों की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
समिति का मानना है कि नकली खबर के व्यापक प्रभाव को देखते हुए, इसकी परिभाषा स्पष्ट और कानूनी रूप से गठित होना चाहिए ताकि इससे उत्पन्न होने वाली सामाजिक और राजनीतिक समस्याओं का हल योग्य तरीके से निकाला जा सके। इसके अतिरिक्त, यह पहल स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकारों के संरक्षण को भी सुनिश्चित करेगी।
नकली खबर से निपटने के लिए जरूरी कदम
- स्पष्ट वैधानिक परिभाषा: नकली खबर की प्रकृति और उसकी सीमाओं को स्पष्ट करने के लिए एक कानूनी मापदंड स्थापित करना।
- समीक्षा एवं निगरानी तंत्र: खबरों की समीक्षा के लिए एक विश्वसनीय तंत्र का निर्माण जो दुष्प्रचार और गलत सूचना को चिन्हित कर सके।
- जनजागरूकता: जनता को नकली खबरों की पहचान और उनसे बचाव के लिए शिक्षित करना।
- संतुलित कानून: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सूचना के अधिकार के बीच संतुलन बनाना।
इस प्रकार, संसद समिति नकली खबर को नियंत्रित करने के लिए एक सम्मिलित और संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की वकालत कर रही है, जो लोकतंत्र के मूल्यों को बनाए रखे और सूचना की विश्वसनीयता सुनिश्चित करे।
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