बिहार में चुनाव आयोग द्वारा की गई विशेष और गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया को लेकर कई राजनीतिक दलों और संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इस मामले में राष्ट्रीय जनता दल (RJD), सांसद मोहम्मद मोइत्रा और जनता सांविधानिक एवं नागरिक अधिकार संगठन PUCL प्रमुख पक्षकार बने हैं।
ये पार्टियां और संगठन चुनाव आयोग की रणनीति को चुनौती दे रहे हैं जिसमें बिहार की मतदाता सूची में व्यापक बदलाव किए गए हैं। उनका दावा है कि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है और इसका मतदाता अधिकारों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। इसी प्रकार, कोलकाता की तृणमूल कांग्रेस (TMC) सहित अन्य दलों ने भी सुप्रीम कोर्ट में आपत्तियां दर्ज कराई हैं।
इस मामले की सुनवाई जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में होने की संभावना है। अदालत इस विवादित पुनरीक्षण प्रक्रिया की वैधता और प्रशासनिक कार्यनीति की समीक्षा कर सकती है, जिससे बिहार में आगामी चुनावों पर असर पड़ने की संभावना है।
मुख्य बिंदु:
- चुनाव आयोग ने बिहार की मतदाता सूची में व्यापक बदलाव किए।
- RJD, मोइत्रा और PUCL ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
- पारदर्शिता की कमी और मतदाता अधिकारों पर संभावित नकारात्मक प्रभाव की चिंता।
- तृणमूल कांग्रेस समेत अन्य दलों ने भी संबंधित आपत्तियां दर्ज कीं।
- सुनवाई जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में होने की संभावना।
इस मामले में अदालत का फैसला बिहार के चुनावी परिदृश्य को प्रभावित कर सकता है।
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