पुणे की स्मिता येलो का नाम भारतीय विमानन उद्योग में एक प्रेरणा के रूप में जाना जाता है। उनके पिता ने 1970 के दशक में भारत में पेराशूट फैब्रिक बनाने की pioneering शुरुआत की थी, जिसने देश में इस क्षेत्र को मजबूती दी। स्मिता ने अपने पिता के इस विरासत को आगे बढ़ाते हुए पेराशूट निर्माण के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई।
स्मिता की सफलता की कहानी तब शुरू हुई जब एक बार आगरा के एक लैब में एक संयोगवश हुई बातचीत ने उनकी ज़िन्दगी का रुख ही बदल दिया। इस बातचीत ने उन्हें पेराशूट उपकरण निर्माण की ओर प्रेरित किया। इसके बाद, उन्होंने न केवल इस उद्योग में कदम रखा, बल्कि अपनी मेहनत और साहस से खुद की एक सफल कहानी भी लिखी।
आज स्मिता येलो को भारत की ‘पेराशूट महिला’ के नाम से जाना जाता है, जो न केवल पुणे बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। उनकी कहानी यह साबित करती है कि अवसरों का सही उपयोग और कड़ी मेहनत से सफलता हासिल की जा सकती है।
स्मिता येलो की कहानी से मिलने वाले मुख्य संदेश:
- परिवार की विरासत का सम्मान और उसे आगे बढ़ाना।
- संयोग और अवसरों को पहचान कर उनका सही उपयोग करना।
- विजन और मेहनत के बल पर चुनौतियों को पार करना।
- स्त्री शक्ति का विमानन उद्योग में उत्कृष्ट योगदान।
यह कहानी सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत है कि वे किस प्रकार परंपरा और आत्म-विश्वास के साथ उच्च शिखरों को छू सकती हैं।
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