पटना। बिहार की मतदाता सूची संशोधन को लेकर संसद में चर्चा नहीं होगी, जिससे जुड़ा एक महत्वपूर्ण मुद्दा सामने आया है। सरकार ने विपक्ष की मांग के बावजूद इस बात की पुष्टि की है कि यह विषय संसद में नहीं उठाया जाएगा।
संभवत: चर्चा न होने के कारण
सूत्रों के अनुसार, यह फैसला:
- पूर्व स्पीकर बलराम जाखड़ द्वारा बताए गए कारणों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
- सरकार का मानना है कि यह विषय राज्य की आंतरिक प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है।
- केंद्रीय संसद के स्तर पर इसे उठाना उपयुक्त नहीं माना गया है।
विपक्ष की मांग और सरकार की प्रतिक्रिया
विपक्ष बार-बार इस मुद्दे पर चर्चा की मांग करता रहा है, परंतु सरकार ने इसे पार्टीगत और संवेदनशील विषय होने के कारण स्थान न देने का निर्णय लिया है।
राजनीतिक और चुनावी संदर्भ
यह निर्णय:
- मतदाता सूची में संशोधन के कारण चुनावों की निष्पक्षता पर प्रभाव पड़ सकता है, जो राजनीतिक हलकों में चिंता का विषय है।
- पूर्व स्पीकर जाखड़ ने भी इस विषय को संवेदनशील बताते हुए इसे संसद की कार्यवाही से अलग रखने की बात कही है।
- बिहार में आगामी चुनावों से पहले यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना के रूप में देखी जा रही है।
भविष्य में इस मुद्दे पर कौनसे कदम उठाए जाएंगे, यह पूरी राजनीतिक दुनिया की निगाहों का केंद्र बना हुआ है।
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