भारत ने हाल ही में बोन, जर्मनी में हुई जलवायु वार्ताओं में जलवायु वित्त संबंधी एजेंडा के बहिष्कार पर गंभीर असंतोष व्यक्त किया है। विकासशील देशों, खासकर भारत, ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे को वार्ताओं से बाहर रखने के फैसले को एक बड़ा झटका बताया है।
भारत ने स्पष्ट किया है कि जलवायु वित्त का विषय आगामी COP30 सम्मेलन में, जो ब्राजील में आयोजित होगा, प्रमुखता से उठाया जाएगा। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वित्तीय सहायता और संसाधनों की उपलब्धता बेहद जरूरी है, जिसे इस बार के बोन वार्तालाप में नजरअंदाज किए जाने पर सभी विकासशील देशों ने चिंता जताई है।
भारत और विकासशील देशों की मुख्य बातें
- जलवायु वित्त एजेंडा को वार्ताओं से बाहर रखना वैश्विक जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति में रुकावट है।
- वित्तीय मदद के बिना जलवायु से संबंधित प्रभावी उपाय करना मुश्किल है।
- भारत और अन्य विकासशील देश COP30 में इस मुद्दे को प्राथमिकता देंगे।
- यह कदम विकासशील देशों के हितों की रक्षा के लिए अहम माना जा रहा है।
यह घटना वैश्विक जलवायु राजनीति में नई बहस के द्वार खोल रही है और आने वाले दिनों में इसकी गूंज और बढ़ेगी। भारत की यह पहल विकासशील देशों के लिए वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
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