भारतीय संसद के मॉनसून सत्र के दौरान डेटा संरक्षण विधेयक 2024 को लोकसभा में पारित किया गया है। यह विधेयक नागरिकों के डेटा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण मानक स्थापित करता है और डिजिटल युग में निजता के अधिकार को सशक्त बनाता है।
घटना क्या है?
डेटा संरक्षण विधेयक 2024 का उद्देश्य व्यक्तिगत डेटा के उपयोग, संग्रहण और प्रसंस्करण पर नियंत्रण स्थापित करना है। यह विधेयक संस्थाओं को जिम्मेदार बनाता है ताकि वे नागरिकों के डेटा को सुरक्षित रखें और अनाधिकृत उपयोग से बचाव करें। विधेयक में डेटा उल्लंघनों के लिए सख्त दंड का प्रावधान भी है।
कौन-कौन जुड़े?
- केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने विधेयक के निर्माण और बहस में मुख्य भूमिका निभाई।
- लोकसभा के विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्य सक्रिय रहे।
- डेटा सुरक्षा विशेषज्ञों ने विधेयक पर चर्चा की।
- संसद की संयुक्त समिति ने संशोधन और सुझाव प्रस्तुत किए।
घटनाक्रम की समयरेखा
- मार्च 2024: विधेयक का प्रारूप सरकार द्वारा प्रस्तुत।
- जून 2024: संसद की संयुक्त समिति द्वारा सुझाव।
- जुलाई 2024: लोकसभा में विधेयक पारित।
- अगस्त 2024: राज्यसभा में चर्चा प्रस्तावित।
आधिकारिक बयान
केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा कि यह विधेयक डिजिटल अर्थव्यवस्था में विश्वास बढ़ाने के लिए आवश्यक है। मंत्री ने बताया कि यह कानून नागरिकों के निजी डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा और डेटा उल्लंघन के मामलों में कड़ी कार्रवाई होगी।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- पिछले वर्ष डेटा उल्लंघनों के मामले 15% से अधिक दर्ज हुए।
- विधेयक के लिए 500 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया।
- यह बजट डेटा सुरक्षा के ढाँचों को मजबूत करने में उपयोग होगा।
तत्काल प्रभाव
विधेयक के पारित होने से भारत में डिजिटल सेवाओं का उपयोग करने वाले नागरिकों को बेहतर सुरक्षा मिलेगी। इसका प्रभाव बैंकों, ई-कॉमर्स कंपनियों एवं मोबाइल एप्लिकेशन सेवाओं पर पड़ेगा, जो अब अधिक कड़े डेटा सुरक्षा मानकों का पालन करेंगे।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार ने इसे डिजिटल आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।
- विपक्ष ने पारदर्शिता की कमी और नागरिकों के डेटा अधिकारों को और मजबूत करने की मांग की है।
- डेटा सुरक्षा विशेषज्ञों ने इसे सकारात्मक पहल माना है, हालांकि कुछ ने लागू होने में सावधानी बरतने की सलाह दी है।
आगे क्या?
अगस्त 2024 में राज्यसभा में विधेयक की चर्चा प्रस्तावित है। चर्चा के पश्चात राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह विधेयक कानूनी तौर पर प्रभावी होगा। सरकार ने डेटा सुरक्षा के लिए एक निगरानी प्राधिकरण के शीघ्र गठन की घोषणा की है।
भारतीय संसद में डेटा संरक्षण विधेयक का पारित होना डिजिटल युग में नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा को मजबूत करेगा और डिजिटल सेवाओं के उपयोग में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा, जिससे भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
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