September 8, 2025

QuestiQa भारत

देश विदेश की खबरें आप तक

भारत की रूसी तेल खरीद पर अमेरिकी सलाहकार का ‘रक्त धन’ कहना: क्या है सच्चाई?

Share Questiqa भारत-
Advertisements
Ad 5

Article –

भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने के बिंदु पर अमेरिकी सलाहकार द्वारा इसे ‘रक्त धन’ कहा जाना काफी विवादित विषय बना हुआ है। इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक नई बहस छेड़ दी है और विभिन्न राजनीतिक एवं आर्थिक दृष्टिकोणों को जन्म दिया है।

Advertisements
Ad 7

अमेरिकी सलाहकार का बयान

अमेरिकी सलाहकार ने रूस से तेल खरीदने को लेकर यह टिप्पणी की कि यह ‘रक्त धन’ है। उनका तर्क है कि रूस की सैन्य गतिविधियों और विवादित युद्ध नीतियों के कारण, उनके आर्थिक संसाधनों का उपयोग हिंसा और संघर्ष को बढ़ावा देने में हो रहा है। इस स्थिति में, रूस से तेल खरीदना उसी हिंसा को आर्थिक सहायता प्रदान करने के समान है।

भारत का दृष्टिकोण

भारत का कहना है कि उसकी विदेश नीति स्वतंत्र है और वह अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर निर्णय लेता है। भारत को ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देना है और रूस से तेल खरीदना इस संदर्भ में एक आर्थिक कदम है। भारत ने बार-बार स्पष्ट किया है कि वह किसी विदेशी संघर्ष में हिस्सेदारी नहीं लेना चाहता, बल्कि अपनी विकास योजनाओं पर केंद्रित है।

Advertisements
Ad 4

वैश्विक परिप्रेक्ष्य

रूसी तेल खरीदने पर विवाद का विषय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई अलग-अलग नजरियों से देखा जा रहा है:

  • कुछ पश्चिमी देशों का मानना है कि रूस की आर्थिक सहायता करना उसे अपने आक्रामक राजनीतिक लक्ष्यों तक पहुँचने में मदद करता है।
  • वहीं, कई विकासशील देश ऊर्जा प्राप्ति के लिए रूस पर निर्भर हैं और उनके लिए यह एक जरूरी आर्थिक निर्णय है।
  • अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों और उपलब्धता पर भी इसका असर पड़ता है।

सारांश

अमेरिकी सलाहकार का यह बयान नीति और नैतिकता का एक जटिल मुद्दा दर्शाता है। भारत की रूसी तेल खरीद की नीति में राष्ट्रीय हित, ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक राजनय के कई आयाम शामिल हैं। इसकी सच्चाई अलग-अलग दृष्टिकोणों से समझी जा सकती है और यह स्थिति समय के साथ और विकसित होती रहेगी।

About The Author

You cannot copy content of this page

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com