महाराष्ट्र में हिंदी और मराठी भाषा को लेकर चल रहे विवाद पर अभिनेत्री एवं सामाजिक कार्यकर्ता रुणुका शाहाने ने अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने मुंबई जैसे बहुभाषी शहर में भाषाई समावेशिता और सांस्कृतिक सम्मान की आवश्यकता पर जोर दिया है।
घटना क्या है?
रुणुका शाहाने ने जून 2025 में एक प्रमुख पॉडकास्ट में महाराष्ट्र में हिंदी और मराठी भाषाओं के बीच बढ़ते तनाव का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि फिल्म, मीडिया और संस्कृति के क्षेत्र में दोनों भाषाओं का सम्मान महत्वपूर्ण है। मुंबई की बहुभाषी पहचान को बनाए रखना आवश्यक है ताकि भाषा आधारित संघर्ष कम हो सकें।
कौन-कौन जुड़े?
- रुणुका शाहाने – महाराष्ट्र की प्रमुख अभिनेत्री और सामाजिक कार्यकर्ता
- महाराष्ट्र सरकार
- भाषा संरक्षण समितियां
- स्थानीय मीडिया
- विभिन्न सामाजिक संगठन
आधिकारिक बयान और दस्तावेज़
महाराष्ट्र सरकार ने एक आदेश जारी किया है जिसमें स्थानीय भाषा मराठी के संरक्षण के साथ हिंदी भाषा के सह-अस्तित्व पर बल दिया गया है। साथ ही, मुंबई नगर निगम ने भी बहुभाषी शहर के रूप में इसकी विविधता बनाए रखने पर जोर दिया है।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- महाराष्ट्र में लगभग 68% लोग मराठी बोलते हैं।
- हिंदी भाषी आबादी लगभग 28% है।
- मुंबई में हिंदी भाषी लोगों की संख्या अधिक होने के कारण सांस्कृतिक टकराव की संभावना बढ़ जाती है।
तत्काल प्रभाव
भाषाई संघर्ष की वजह से मुंबई के कई सार्वजनिक स्थलों पर अप्रिय स्थितियाँ उत्पन्न हुई हैं, जिससे स्थानीय प्रशासन के लिए प्रभावी संवाद स्थापित करना चुनौतीपूर्ण हो गया है। रुणुका शाहाने ने कहा कि दोनों भाषाओं को समान सम्मान देना अनिवार्य है ताकि ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
प्रतिक्रियाएँ
- महाराष्ट्र सरकार ने रुणुका शाहाने के विचारों का स्वागत किया है और इस दिशा में सार्थक कदम उठाए जाने का आश्वासन दिया है।
- राज्य के कई सामाजिक संगठन भाषाई समावेशिता के पक्ष में हैं।
- कुछ राजनीतिक दल इस मुद्दे को राजनीतिकरण कर रहे हैं, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो रही है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि मुंबई की बहुभाषी संस्कृति को साझा सम्मान की आवश्यकता है।
आगे क्या?
महाराष्ट्र सरकार आगामी माह में एक बहुभाषी संवाद मंच स्थापित करने की योजना बना रही है जहाँ हिंदी और मराठी भाषाई मुद्दों पर चर्चा कर समाधान निकाला जाएगा। शहरी निकाय विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों के बीच संवाद बढ़ाने पर भी काम करेंगे।
भाषा संघर्ष समाप्त करने के लिए सामाजिक, सरकारी और सांस्कृतिक स्तर पर समन्वित प्रयास आवश्यक हैं। ताज़ा जानकारियों के लिए Questiqa Bharat के अपडेट्स पढ़ते रहिए।
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