मुंबई से प्राप्त जानकारी के अनुसार, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने 2027 के मध्य तक भारत में निर्मित सेमीकंडक्टर चिप्स को बाजार में लाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। हालांकि, कंपनी को दुर्लभ पृथ्वी तत्वों एवं अन्य आवश्यक कच्चे माल की कमी की वजह से गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। दो वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि यदि भारत ने समय रहते इन महत्वपूर्ण सामग्रियों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित नहीं की, तो परियोजना में देरी संभव है।
सेमीकंडक्टर उद्योग का बढ़ता महत्व
दुनिया भर में सेमीकंडक्टर उद्योग लगातार विकास कर रहा है और भारत भी इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है। टाटा का उद्देश्य केवल घरेलू मांग को पूरा करना नहीं है, बल्कि वे निर्यात के अवसरों का भी विस्तार करना चाहते हैं।
दुर्लभ पृथ्वी तत्वों का संकट
विशेष रूप से चिप निर्माण में दुर्लभ पृथ्वी तत्व अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। इन सामग्रियों की कमी से पूरे सेमीकंडक्टर क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है, जो परियोजना की समयसीमा को प्रभावित कर सकता है।
टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स की भूमिका
टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स की योजना को भारत के तकनीकी विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। कंपनी सरकार के साथ सहयोग करते हुए इस योजना को सफलतापूर्वक लागू करने में लगे हुए हैं।
टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स की इस परियोजना से भारत की टेक्नोलॉजी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने और ग्लोबल बाजार में प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी।
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