मुंबई: भारत की कंपनियों द्वारा जारी किए गए डॉलर बॉन्ड इश्यू छः तिमाही के निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। इस वित्तीय समयावधि में विदेशी मुद्रा में फंड जुटाने की प्रवृत्ति में कमी देखी गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार की अनिश्चितता और ब्याज दरों में बदलाव ने निवेशकों को सतर्क कर दिया है।
डॉलर बॉन्ड की यह गिरावट निम्नलिखित कारणों से हुई है:
- ब्याज दरों में वृद्धि: वैश्विक स्तर पर बढ़ती ब्याज दरों ने बॉन्ड्स की अपील को कम किया है।
- आर्थिक अनिश्चितता: वैश्विक और घरेलू आर्थिक माहौल में अनिश्चितता ने कंपनियों को कम इश्यू करने के लिए प्रेरित किया है।
- विदेशी निवेशकों का रुख: विदेशी निवेशकों की सतर्कता से बाजार में नई पेशकशों की मात्रा प्रभावित हुई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि वैश्विक आर्थिक स्थिरता बनी रहती है तो अगले कुछ तिमाहियों में यह प्रवृत्ति सुधर सकती है। कंपनियों को अपनी वित्तीय रणनीतियों को पुनः मूल्यांकन करना होगा ताकि वे इन चुनौतियों का सामना कर सकें।
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