मुंबई में 12 जून को हुई एयर इंडिया दुर्घटना की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट ने विवाद को जन्म दिया है। दो प्रमुख वाणिज्यिक पायलट समूहों ने जांच रिपोर्ट को “लापरवाह” और “बिना आधार के आरोपों” से भरा बताया है और मानव त्रुटि से जुड़ी सभी बातों को पूरी तरह खारिज किया है।
पायलट समूहों का पक्ष
पायलटों का तर्क है कि दुर्घटना की जिम्मेदारी सिर्फ मानवीय भूलों पर डालना निष्पक्ष नहीं है। वे मानते हैं कि इस हादसे के पीछे कई तकनीकी और बाहरी कारण भी मौजूद हो सकते हैं। उन्होंने जांच एजेंसियों से अपील की है कि वे पूरी निष्पक्षता बरतें और सभी पहलुओं पर ध्यान दें।
जांच एजेंसियों का रुख और विवाद
जांच एजेंसियों ने इस हादसे को मुख्य रूप से मानवीय गलती से जोड़ा था, जिसे पायलट समूहों ने बिना ठोस सबूत का आरोप करार देते हुए अपनी प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाने वाला बताया है। यह विवाद जांच प्रक्रिया की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।
उद्योग विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
उद्योग विशेषज्ञ इस विवाद को गंभीरता से लेते हुए जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं। वे अधिक गहन और विस्तृत जांच की संभावना पर भी प्रकाश डाल रहे हैं ताकि पूरी घटना की तह तक पहुंचा जा सके।
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