मुंबई में हिंदी और मराठी भाषाओं के बीच चल रहे विवाद पर अभिनेत्री रेनुका शाहने ने अपने विचार एक पॉडकास्ट के माध्यम से व्यक्त किए। उन्होंने भाषाई समावेशन तथा सांस्कृतिक सम्मान की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया है।
घटना क्या है?
रेनुका शाहने ने मुंबई के बहुभाषी वातावरण में सभी भाषाओं के प्रति सम्मान और सहिष्णुता बनाए रखने की बात कही। उनके अनुसार, भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं बल्कि सांस्कृतिक पहचान का भी एक अहम हिस्सा है।
कौन-कौन जुड़े?
इस विषय में महाराष्ट्र के सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र से जुड़े विभिन्न संगठन और व्यक्तित्व सक्रिय हैं। ये लोग इस भाषा संघर्ष को समझदारी और समावेशी दृष्टिकोण से देख रहे हैं। रेनुका शाहने ने भी पॉडकास्ट के जरिए इसी प्रकार का समाधान सुझाया।
प्रतिक्रियाएँ
- भाषा विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने रेनुका शाहने के बयान को मुंबई के सामाजिक समरसता के लिए सकारात्मक माना है।
- कुछ भाषा समूहों ने इस मुद्दे पर अपनी चिंताएं भी प्रकट की हैं।
आगे क्या?
भाषा से जुड़े संवेदनशील मुद्दों को हल करने के लिए महाराष्ट्र सरकार और संबंधित विभाग समय-समय पर संवाद और पहल कर सकते हैं। आगामी दिनों में इस विषय पर सार्वजनिक चर्चा और नीति निर्धारण की संभावना बनी हुई है।
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