मॉस्को ने रूस-भारत-चीन त्रिपक्षीय गठबंधन को पुनर्जीवित करने की पहल की है, जो 2020 के गलवान विवाद के बाद से निष्क्रिय था। इस गठबंधन का उद्देश्य तीनों देशों के बीच रणनीतिक और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है। रूस का यह कदम वर्तमान वैश्विक राजनीतिक संदर्भ और अपने रणनीतिक हितों के आधार पर उठाया गया है।
गलवान विवाद के बाद त्रिपक्षीय सहयोग में ठहराव
2020 में गलवान घाटी में टकराव हुआ था, जिसके बाद त्रिपक्षीय साझेदारी में ठहराव आ गया था। लेकिन अब रूस नए अवसरों की तलाश कर रहा है।
रूस की नई रणनीति और उम्मीदें
मॉस्को आशा करता है कि India और China के साथ मिलकर यह गठबंधन उसकी वैश्विक ताकत में इजाफा करेगा और भू-राजनीतिक दबाव के संतुलन में मदद करेगा।
त्रिपक्षीय गठबंधन के संभावित प्रभाव
- पाकिस्तान और अमेरिका के बढ़ते प्रभाव के विरोध में रूस की स्थिति को मजबूत करना।
- अफगानिस्तान, मध्य एशिया और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में प्रभाव बढ़ाना।
- भारत को क्षेत्रीय सहयोग और सुरक्षा में नई संभावनाएं प्रदान करना।
- चीन के साथ सहयोग के ज़रिए आर्थिक और रणनीतिक संतुलन बनाना।
मॉस्को की यह रणनीति वैश्विक शक्ति संतुलन में एक बड़ा बदलाव लेकर आ सकती है, जिससे तीनों देशों को अपने-अपने क्षेत्रीय और वैश्विक हितों को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
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