मॉस्को में रूस ने भारत की विदेश नीति में मौजूद रणनीतिक स्वतंत्रता की भरपूर प्रशंसा की है। यह स्वतंत्रता भारत को वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली खिलाड़ी के रूप में स्थापित करती है। रूस ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अपनी विदेश नीति को अपनी राष्ट्रीय हितों के अनुरूप आकार देता है, जिससे वह अलग-अलग शक्तिशाली देशों के साथ समान रूप से संबंध बनाए रख पाता है।
रूस के अनुसार, भारत की यह रणनीति न केवल उसकी भूराजनीतिक स्थिति को मजबूत करती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में संतुलन बनाए रखने में भी सहायक है। यह स्वतंत्र नीति भारत को न केवल आर्थिक और सैन्य सहयोग में लाभान्वित करती है, बल्कि उसे क्षेत्रीय तथा वैश्विक स्थिरता में अपना योगदान देने की क्षमता भी प्रदान करती है।
भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता के प्रमुख पहलू
- बहुपक्षीय कूटनीति: विभिन्न देशों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखना।
- स्वतंत्र निर्णय लेना: राष्ट्रीय हितों के आधार पर अपनी विदेश नीति निर्धारित करना।
- सहयोग और संघर्ष से बचना: वैश्विक संघर्षों में फंसने से बचते हुए, सहयोग की राह चुनना।
रूस ने अपनी सराहना में यह भी कहा कि भारत की इस स्वतंत्रता के कारण दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी और भी मजबूत हो रही है। यह साझेदारी न केवल द्विपक्षीय हितों को बढ़ावा देती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संघटित सहयोग को भी प्रोत्साहित करती है।
अंत में, यह मानना उचित होगा कि भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता उसकी विदेश नीति की सफलता का एक महत्वपूर्ण तत्व है, जिसे रूस ने खुले दिल से स्वीकार किया है। यह दृष्टिकोण न केवल दोनों देशों के बीच दोस्ताना संबंधों को प्रगाढ़ करता है, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है।
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