July 23, 2025

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रिजर्व बैंक ने रेपो दर 6.5% से बढ़ाकर 6.75% की, महंगाई नियंत्रण पर फोकस

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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अपनी मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो दर को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.75 प्रतिशत कर दिया है। यह महत्वपूर्ण निर्णय 7 जून 2024 को लिया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य देश में बढ़ती महंगाई को नियंत्रण में रखना और आर्थिक स्थिरता बनाए रखना है।

घटना का सार

इस नई दर वृद्धि का प्रभाव ब्याज दरों में वृद्धि के रूप में उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए कर्ज महंगा हो जाएगा। RBI ने साथ ही नकदी अनुपात को 4 प्रतिशत पर स्थिर रखा है, जिससे बाजारों में तरलता और मुद्रा स्थिरता पर नियंत्रण रहेगा।

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मौद्रिक नीति समिति और प्रभावित पक्ष

इस निर्णय के पीछे RBI की मौद्रिक नीति समिति के सात सदस्य हैं, जिनमें मुख्य रूप से RBI के गवर्नर शामिल हैं। यह निर्णय केंद्रीय वित्त मंत्रालय, व्यावसायिक बैंक, घरेलू उद्योग समूह, और आम नागरिकों को सीधे प्रभावित करेगा।

आधिकारिक बयान

RBI की प्रेस रिलीज़ में कहा गया है कि महंगाई पर नियंत्रण और दीर्घकालीन आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया है। साथ ही, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के मद्देनजर सतर्कता बरती जाएगी।

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आर्थिक आंकड़े

  • वित्तीय वर्ष 2024 के लिए GDP वृद्धि दर: 6.1%
  • महंगाई दर मार्च 2024: 5.4% (लक्षित 4% से अधिक)

तत्काल प्रभाव

  • बैंक ऋणों की ब्याज दरों में वृद्धि, जिससे आवास ऋण, व्यापारिक कर्ज महंगा होगा।
  • उपभोक्ता खर्च और निवेश में संभावित कमी।
  • मुद्रा बाजार में स्थिरता और निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा।

प्रतिक्रियाएँ

सरकार: इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे आवश्यक माना है।
विपक्षी दल: दर वृद्धि से विकास दर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और आम जनता के लिए कर्ज महंगा होगा।
अर्थशास्त्री: महंगाई नियंत्रण के लिए जरूरी कदम, पर विकास दर पर निगरानी जरूरी।
उद्योग संगठन: मिश्रित प्रतिक्रिया; कुछ ने महंगाई नियंत्रण में सकारात्मक, तो कुछ ने कारोबारी लागत वृद्धि की चिंता जताई।

आगे की योजना

  1. अगली मौद्रिक नीति समिति की बैठक जुलाई 2024 में प्रस्तावित।
  2. सरकार बजट नीति में आवश्यक संशोधन कर सकती है।
  3. निवेशकों और उपभोक्ताओं को वित्तीय योजना में सतर्क रहने की सलाह।

रिजर्व बैंक की यह नीति ऋण बाजार, उपभोक्ता खर्च और आर्थिक विकास को निकट भविष्य में महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगी, इसलिए आर्थिक संकेतकों पर नजर रखना आवश्यक होगा।

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