भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 6 जून 2024 को अपनी रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए इसे 6.50 प्रतिशत कर दिया है। यह निर्णय देश में बढ़ती महंगाई दर को नियंत्रित करने के लिए लिया गया है। रेपो दर वह ब्याज दर है जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को क्रेडिट प्रदान करता है।
घटना क्या है?
RBI के गवर्नर के अनुसार, जून 2024 की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति का मूल्यांकन किया गया। अप्रैल 2024 में महंगाई दर 6.3 प्रतिशत थी, जो RBI के लक्षित 4 प्रतिशत से अधिक है। इसलिए MPC ने रेपो दर बढ़ाने का फैसला किया, जो कोविड-19 महामारी के बाद पहली बार हुई है।
कौन-कौन जुड़े?
- नीति समिति में RBI के गवर्नर, चार सदस्य तथा सरकार का एक प्रतिनिधि शामिल थे।
- देश के बैंकिंग क्षेत्र एवं वित्तीय संस्थान इस फैसले से प्रभावित होंगे।
- वित्त मंत्रालय ने इस फैसले का समर्थन किया।
आधिकारिक बयान/दस्तावेज़
RBI ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रेस रिलीज़ जारी करते हुए कहा कि महंगाई दर का उच्च स्तर वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा है। यह भी बताया कि ब्याज दर बढ़ने से धन की उपलब्धता थोड़ी कठिन होगी, लेकिन मुद्रास्फीति में गिरावट आएगी।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- मार्च 2024 तक मुद्रास्फीति दर 5.9 प्रतिशत रही।
- खाद्य पदार्थों और ऊर्जा की कीमतों में 7 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई।
- रेपो दर में यह वृद्धि आर्थिक विशेषज्ञों के अनुमान के अनुरूप थी।
- RBI ने मौद्रिक सख्ती की रणनीति अपनाई है।
तत्काल प्रभाव
इस वृद्धि के कारण:
- बैंकों द्वारा क्रेडिट की लागत बढ़ेगी।
- आवास, वाहन तथा व्यक्तिगत ऋण महंगे होंगे।
- व्यापारियों और उद्योगपतियों के लिए कर्ज लेना महंगा होगा, जिससे निवेश धीमा हो सकता है।
- यह कदम कीमतों को स्थिर रखने एवं दीर्घकालिक आर्थिक लाभ के लिए सहायक होगा।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार ने RBI के निर्णय का स्वागत किया और इसे सामाजिक-आर्थिक स्थिरता के लिए आवश्यक बताया।
- विपक्षी दलों ने महंगाई पर सरकार की आलोचना जारी रखी, लेकिन RBI की नीति का सम्मान किया।
- वित्तीय विशेषज्ञों ने इसे मुद्रास्फीति नियंत्रण के लिए सकारात्मक कदम माना।
- उद्योग मंडल ने अल्पकालिक सावधानी बरतने की सलाह दी।
- जनता में इसे महंगाई से बचाव के तौर पर स्वीकार किया जा रहा है।
आगे क्या?
- RBI ने अगली नीति समीक्षा बैठक सितंबर 2024 के अंत में आयोजित करने का निर्णय लिया है।
- सरकार कृषि एवं उत्पादन क्षेत्र में कीमतों को स्थिर रखने के लिए अतिरिक्त कदम उठा रही है।
- मौद्रिक नीतियों में और बदलाव आर्थिक संकेतकों के आधार पर किए जा सकते हैं।
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