September 16, 2025

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लखनऊ विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग छात्र बना रहे डिजिटल समावेशन की मिसाल

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उत्तर प्रदेश के लखनऊ में स्थित लखनऊ विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संकाय के बीटेक छात्र डिजिटल समावेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल कर रहे हैं। वे ऐसे तकनीकी उपाय विकसित कर रहे हैं जो समाज के हर वर्ग तक डिजिटल सेवा को पहुँचाने में मददगार साबित होंगे। यह प्रयास न केवल तकनीकी नवाचार का प्रतिबिंब है बल्कि भारत के डिजिटल इंडिया मिशन के तहत समान अवसर प्रदान करने की दिशा में भी बड़ा कदम है।

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पृष्ठभूमि

भारत में डिजिटल तकनीक के तेजी से प्रसार के साथ-साथ यह भी आवश्यक हो गया है कि डिजिटल साक्षरता और सेवाएं देश के प्रत्येक नागरिक तक पहुँचें। भारत सरकार का डिजिटल इंडिया मिशन इसी उद्देश्य के तहत कार्यरत है, जिसका लक्ष्य गरीब, पिछड़े एवं अंचल वर्ग के लोगों को डिजिटल माध्यमों से जोड़ना है। लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र इस दिशा में प्रगतिशील सोच और तकनीकी कौशल के साथ अपनी भूमिका निभा रहे हैं।

मुख्य पक्षकार

इस तकनीकी परियोजना में निम्नलिखित मुख्य सदस्य हैं:

  • लखनऊ विश्वविद्यालय के बीटेक छात्र – जो तकनीकी नवाचार कर रहे हैं।
  • संकाय के प्रोफेसर और तकनीकी विशेषज्ञ – छात्राओं का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
  • राज्य सरकार का तकनीकी विभाग – सहयोग प्रदान कर रहा है।
  • स्थानीय समुदाय – परीक्षण में सहभागिता कर रहा है।

राष्ट्रीय असर

यदि लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र सफलतापूर्वक डिजिटल समावेशन का यह मॉडल विकसित कर पाते हैं, तो इसका प्रभाव पूरे देश में महसूस किया जाएगा। इसका महत्व निम्नलिखित रूप में सामने आएगा:

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  1. ग्रामीण और शहरी भारत के पिछड़े वर्गों के बीच डिजिटल विभाजन कम होगा।
  2. रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, एवं सरकारी सुविधाओं के ऑनलाइन वितरण को सुगम बनाया जाएगा।
  3. आर्थिक विकास दर में वृद्धि होगी क्योंकि उत्पादकता बढ़ेगी।

विशेषज्ञों की राय

तकनीकी विशेषज्ञों का मत है कि यह पहल युवा प्रतिभा और तकनीकी नवाचार की मिसाल है। वे इसे डिजिटल इंडिया के लक्ष्यों के लिए अत्यंत आवश्यक मानते हैं। कुछ प्रमुख सुझाव निम्न हैं:

  • परियोजना में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML) तकनीकों का समावेश करें।
  • प्रणाली को उपयोगकर्ता के अनुभव के लिहाज से ज़्यादा सहज बनाएं।

आगे का रास्ता

आगामी महीनों में निम्नलिखित कदम उठाए जाएंगे:

  • व्यापक परीक्षण पूरे क्षेत्र में आयोजित किए जाएंगे।
  • सरकारी एजेंसियों और निजी संगठनों के साथ मिलकर कार्यान्वयन किया जाएगा।
  • मॉडल को अन्य विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों के साथ साझा करके विस्तारित किया जाएगा।
  • डिजिटल डिवाइड को कम करने वाली सरकारी योजनाओं के अंतर्गत इसे लागू किया जाएगा।

दूरदृष्टि वाली पंक्ति

इस प्रकार, लखनऊ विश्वविद्यालय के बीटेक छात्रों की यह पहल न केवल तकनीकी क्षेत्र में नवाचार की मिशाल है, बल्कि भारत को एक समावेशी डिजिटल राष्ट्र बनाने के संकल्प को भी मजबूती प्रदान करती है। ताज़ा विश्लेषणों और अपडेट्स के लिए Questiqa Bharat को पढ़ते रहिए।

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