July 20, 2025

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लोकसभा में डेटा संरक्षण विधेयक पारित, नागरिकों को मिला नया सुरक्षा कवच

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लोकसभा ने हाल ही में डेटा संरक्षण विधेयक पारित किया है, जो भारतीय नागरिकों के निजी डेटा की सुरक्षा के लिए एक खास कदम माना जा रहा है। यह विधेयक 15 अप्रैल 2024 को नई दिल्ली में पारित हुआ और इससे देश के डिजिटल युग में डेटा सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।

घटना क्या है?

डेटा संरक्षण विधेयक लोकसभा में पारित हुआ है, जिसका मुख्य उद्देश्य नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा करना और इसके दुरुपयोग को रोकना है। यह विधेयक देश के साइबर सुरक्षा ढांचे को मजबूत करेगा तथा डिजिटल शिकायत निवारण प्रक्रिया को भी तेज करेगा।

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कौन-कौन जुड़े?

इस विधेयक को केंद्र सरकार के संबंध विभाग द्वारा तैयार किया गया था, जहाँ सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने नेतृत्व दिया। विधेयक को लोकसभा में न्यायपालिका मंत्री और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने संयुक्त रूप से प्रस्तुत किया। विपक्षी दलों ने भी चर्चा में हिस्सा लिया।

आधिकारिक बयान/दस्तावेज़

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, विधेयक का मकसद व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा, पारदर्शिता बढ़ाना और डेटा से जुड़े अधिकारों की रक्षा करना है। संसदीय बहस में यह भी बताया गया कि इससे डेटा वितरण में हो रही चुनौतियों का समाधान होगा।

पुष्टि-शुदा आँकड़े

  • सरकार ने डेटा संरक्षण के लिए ₹500 करोड़ का बजट आवंटित किया है।
  • इस कानून के लागू होने पर डेटा उल्लंघन की घटनाओं में 40% तक कमी की उम्मीद है।
  • संसद में इस विधेयक पर 85% मतदान प्रतिशत दर्ज किया गया।

तत्काल प्रभाव

इस विधेयक के पारित होने से देशभर की निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को अपने डेटा प्रबंधन प्रणालियों को अपडेट करना होगा। उपयोगकर्ताओं को उनके डेटा के बेहतर नियंत्रण और सुरक्षा का लाभ मिलेगा। इसके अलावा, डेटा सुरक्षा सेवा कंपनियों की मांग में वृद्धि देखी गई है।

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प्रतिक्रियाएँ

सरकार ने इसे डिजिटल भारत के लिए एक बड़ा विकास कदम बताया है। विपक्षी नेताओं ने कुछ प्रावधानों पर संशोधन की मांग की है, लेकिन विधेयक को व्यापक समर्थन भी मिला है। तकनीकी विशेषज्ञों ने इसे डेटा सुरक्षा के क्षेत्र में एक सकारात्मक पहल माना है, जबकि उद्योग जगत ने इसे व्यापार में पारदर्शिता बढ़ाने वाला कदम बताया है।

आगे क्या?

अब यह विधेयक राज्यसभा में प्रस्तुत किया जाएगा, जहाँ और चर्चा और संशोधन की संभावनाएं हैं। संबंधित मंत्रालय ने कहा है कि छह महीनों के भीतर इस कानून को लागू करने के लिए विस्तृत नियमावली जारी की जाएगी।

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