August 11, 2025

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लोकसभा में डेटा संरक्षण विधेयक पारित, निजता के अधिकार को मजबूती

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भारतीय संसद की लोकसभा ने डेटा संरक्षण विधेयक 2024 को पारित किया है, जो डिजिटल सुरक्षा और निजता के अधिकार को मजबूत बनाने के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह विधेयक 15 अप्रैल 2024 को नई दिल्ली में पारित हुआ, जिसका उद्देश्य व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करना और निजी तथा सरकारी संस्थाओं के डेटा उपयोग को नियंत्रित करना है।

घटना क्या है?

विधेयक लोकसभा में व्यापक बहस के बाद पारित किया गया। यह नागरिकों के डिजिटल अधिकारों की रक्षा करता है तथा डेटा संकलन और प्रसंस्करण के नियमों को स्थापित करता है। डेटा की सुरक्षा को मजबूत बनाने के साथ ही उल्लंघनों पर कड़े दंड का प्रावधान भी इसमें शामिल है।

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कौन-कौन जुड़े?

  • सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय: विधेयक के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाई।
  • संसद सदस्य: विभिन्न दलों ने इस प्रस्ताव पर चर्चा एवं समीक्षा की।
  • डाटा सुरक्षा विशेषज्ञ और नागरिक अधिकार संगठन: विधेयक पर सुझाव और प्रतिक्रिया दी।
  • विपक्षी दल: कुछ प्रावधानों में संशोधन की मांग की।

आधिकारिक बयान और दस्तावेज़

सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बताया कि यह विधेयक व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा को राष्ट्रीय प्राथमिकता देगा। व्यापारिक प्रतिष्ठानों के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही अनिवार्य होगी, जैसा कि संसद अधिनियम में उल्लेखित है।

पुष्टि-शुदा आँकड़े

  1. देश में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 75 करोड़ से अधिक है।
  2. डिजिटल सेवा प्रदाताओं द्वारा संसाधित डेटा की मात्रा में पिछले पांच वर्षों में 150% की वृद्धि हुई है।
  3. विधेयक पारित होने के बाद डेटा उल्लंघन की घटनाओं में कमी की उम्मीद है।

तत्काल प्रभाव

इस विधेयक के लागू होने से नागरिकों को अपने डेटा पर अधिक नियंत्रण मिलेगा और गोपनीयता की चिंताएं कम होंगी। डिजिटल कारोबार करने वाली कंपनियों को नए नियमों का पालन करना होगा, जिससे बाजार पर प्रभाव पड़ेगा।

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प्रतिक्रियाएँ

  • सरकार: विधेयक को देश के लिए बड़ी उपलब्धि बताया।
  • विपक्ष: कुछ प्रावधानों को कठोर मानते हुए संशोधनों की मांग।
  • तकनीकी विशेषज्ञ: इसे डेटा सुरक्षा के क्षेत्र में व्यावहारिक कदम माना।
  • व्यापारिक संगठन: सकारात्मक संकेत के रूप में स्वीकार किया।
  • आम जनता: जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया गया।

आगे क्या?

अब यह विधेयक राज्यसभा में प्रस्तुत किया जाएगा, जहां और बहस हो सकती है। उसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी से यह कानून बन जाएगा। सरकार ने सार्वजनिक जागरूकता कार्यक्रम चलाने की भी घोषणा की है।

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