भारतीय संसद के लोकसभा सदन में हाल ही में डेटा संरक्षण विधेयक पारित हुआ है, जो डिजिटल युग में नागरिकों के निजता अधिकारों की रक्षा को मजबूती देगा। यह विधेयक 15 जुलाई 2024 को नई दिल्ली में पारित किया गया, जो देश के डिजिटल ढांचे के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
घटना क्या है?
डेटा संरक्षण विधेयक का उद्देश्य व्यक्तिगत डेटा के संग्रह, उपयोग और सुरक्षा को विनियमित करना है। इसमें स्पष्ट तौर पर डिजिटल प्लेटफार्मों और कंपनियों को ग्राहकों के डेटा के प्रति जवाबदेह बनाया गया है और डेटा के दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्त प्रावधान लागू किए गए हैं। यह विधेयक पहले से मौजूद सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में संशोधन के अलावा नया ढांचा भी प्रस्तुत करता है।
कौन-कौन जुड़े?
इस विधेयक के निर्माण और पारित होने में केंद्र सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय प्रमुख भूमिका में रहा। संसद के विभिन्न राजनीतिक दलों ने विधायिका में इस बिल पर वार्ता की। साथ ही, तकनीकी विशेषज्ञ, उद्योग प्रतिनिधि और नागरिक समाज के संगठन भी इस विधेयक के मसौदे और संशोधनों में योगदान देते रहे।
आधिकारिक बयान और दस्तावेज़
मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि डेटा संरक्षण विधेयक नागरिकों की निजता सुरक्षा के लिए आवश्यक कानूनी अवसंरचना सुनिश्चित करेगा। संसदीय ट्रिब्यूनल में बैठकों के दौरान विधेयक के विभिन्न प्रावधानों जैसे डेटा लोकलाइजेशन, उपयोगकर्ता सहमति, और दंड प्रावधानों पर चर्चा हुई।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 75 करोड़ से अधिक है, जिनमें से 60% युवा वर्ग है।
- डिजिटल लेनदेन में पिछले पांच वर्षों में 150% की वृद्धि दर्ज हुई है।
- विधेयक के तहत निर्धारित पैनल डेटा उल्लंघन मामलों की रिपोर्टिंग समय सीमा 72 घंटे निश्चित करेगा।
तत्काल प्रभाव
विधेयक के पारित होते ही तकनीकी कंपनियों को डेटा प्रबंधन में सावधानी बरतनी होगी। नागरिकों को अपने व्यक्तिगत डेटा पर अधिक अधिकार प्राप्त होंगे। बाज़ार में डिजिटल कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए पारदर्शिता बढ़ेगी और उपभोक्ता संरक्षण मजबूत होगा। इससे विदेशी निवेशकों को भी सकारात्मक संकेत मिल सकता है।
प्रतिक्रियाएँ
सरकार ने इस विधेयक को डिजिटल भारत के लिए अत्यंत आवश्यक बताया है। विपक्ष ने कुछ प्रावधानों को सख्ती से लेकर सवाल उठाए हैं, खासकर डेटा के स्थानीयकरण पर। तकनीकी विशेषज्ञों ने इसे डिजिटल सुरक्षा की दिशा में सराहनीय कदम करार दिया है। उद्योग समूहों ने अपने संचालन पर इसके प्रभाव का आकलन शुरू कर दिया है। आम जनता में डेटा सुरक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
आगे क्या?
- विधेयक अब राज्य सभाओं (राज्य विधानसभाओं) में भेजा जाएगा, जहां इसे अंतिम स्वीकृति मिलेगी।
- केंद्र सरकार डेटा सुरक्षा प्राधिकरण (डाटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी) के गठन के लिए प्रक्रिया शुरू करेगी।
- यह प्राधिकरण डेटा उपयोग व उल्लंघन मामलों की निगरानी करेगा।
- आगामी महीनों में इस विधेयक के कार्यान्वयन के दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।
डेटा संरक्षण विधेयक देश में डिजिटल अधिकारों की सुरक्षा के लिए निर्णायक सिद्ध होगा और तकनीकी विकास के साथ नागरिकों के हितों की रक्षा सुनिश्चित करेगा।
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