भारतीय संसद ने हाल ही में डेटा संरक्षण विधेयक पारित किया है, जो देश की डेटा सुरक्षा व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आया है। यह विधेयक 15 मार्च 2024 को दिल्ली में संसदीय सत्र के दौरान पारित हुआ, जिसका उद्देश्य नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा सशक्त बनाना है।
घटना क्या है?
सरकार ने डिजिटल युग में व्यक्तिगत सूचनाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए डेटा संरक्षण विधेयक प्रस्तुत किया। यह विधेयक व्यक्तिगत डेटा के संग्रहण, उपयोग, और साझा करने की स्पष्ट नियमावली बनाता है, जो डेटा गोपनीयता को बढ़ावा देगा। इसके तहत बहुराष्ट्रीय कंपनियां एवं स्थानीय व्यवसाय नए डेटा प्रबंधन मानकों का पालन करेंगे।
कौन-कौन जुड़े?
- सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने विधेयक निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई।
- लोकसभा में 350 मत तथा राज्यसभा में 312 मतों से विधेयक पारित हुआ।
- विपक्ष के कुछ सदस्यों ने समर्थन किया, जबकि कुछ ने प्रावधानों पर संदेह व्यक्त किया।
- केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय ने मार्गदर्शन प्रदान किया।
आधिकारिक बयान और दस्तावेज़
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने प्रेस रिलीज़ में कहा कि विधेयक से भारत में डेटा सुरक्षा विश्व स्तर पर मजबूत होगी। संसद अध्यक्ष के कार्यालय ने इसे जल्द ही राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। निजी कंपनियों को डेटा संग्रहण के लिए स्पष्ट सहमति लेना अनिवार्य होगा, और उल्लंघन पर भारी जुर्माने का प्रावधान है।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- पिछले वर्ष डिजिटल डेटा उपयोग में 35% वृद्धि हुई।
- उल्लंघन पर 15 करोड़ रुपये तक जुर्माना और तीन वर्ष तक जेल की सजा का प्रावधान।
- भारत में लगभग 85 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं।
तत्काल प्रभाव
- निजी कंपनियां डेटा प्रबंधन में अधिक सावधानी बरतेंगी।
- उपयोगकर्ताओं को अपने व्यक्तिगत डेटा पर अधिक नियंत्रण मिलेगा।
- डिजिटल कारोबार को मजबूती मिलने की उम्मीद है।
- तकनीकी कंपनियां अपनी डेटा नीतियों में सुधार करेंगी।
प्रतिक्रियाएँ
सरकार ने इसे डिजिटल भारत के लिए सार्थक कदम बताया। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि यह कानून तकनीकी सुरक्षा मानकों में भारत को अग्रणी बनाएगा। विपक्ष ने कड़े प्रावधानों की मांग की, जबकि डेटा सुरक्षा विशेषज्ञ इसे बड़ी सफलता मानते हैं। उद्योग जगत ने निजता नीतियों को अपडेट करने पर ज़ोर दिया है। नागरिकों में सकारात्मक उम्मीदें हैं।
आगे क्या?
- राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद विधेयक कानून के रूप में लागू होगा।
- छह महीनों के भीतर नियमावली और दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।
- विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कानून का विस्तार होगा।
- सरकार उपभोक्ता जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय ले चुकी है।
निष्कर्ष: इस विधेयक के पारित होने से भारत में डेटा सुरक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, जो डिजिटल युग के अनुरूप नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए नए मानक स्थापित करता है।
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