भारत सरकार ने 11 सितंबर 2025 को दिल्ली में लोकसभा में डेटा संरक्षण विधेयक 2025 पारित किया है। यह विधेयक नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। कानून का उद्देश्य डिजिटल युग में डेटा गोपनीयता सुनिश्चित करना एवं निजता अधिकारों को सशक्त बनाना है।
घटना क्या है?
डेटा संरक्षण विधेयक 2025 को संसद के मॉनसून सत्र के दौरान पेश किया गया था। यह विधेयक सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा तैयार किया गया था। संसद में कई दौर की बहस के बाद इसे बहुमत से स्वीकार कर लिया गया। विधेयक में व्यक्तिगत डेटा संग्रह, उपयोग और साझा करने पर कड़े नियम बनाए गए हैं।
कौन-कौन जुड़े?
इस विधेयक पर केंद्र सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ-साथ संसद के दोनों सदन सक्रिय रहे। इसके अलावा विभिन्न नागरिक अधिकार संगठन और तकनीकी विशेषज्ञों ने भी विधेयक के मसौदे पर सुझाव एवं प्रतिक्रिया दी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले पारित डेटा सुरक्षा से जुड़े निर्देशों का पालन करते हुए यह विधेयक तैयार किया गया है।
आधिकारिक बयान/दस्तावेज़
- सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने बताया कि विधेयक का बजट प्रावधान ₹500 करोड़ रखा गया है, जो डेटा सुरक्षा प्रबंधन और निगरानी के लिए खर्च होगा।
- कंपनियों को उपभोक्ताओं का डेटा केवल सहमति के बाद उपयोग करना होगा।
- उल्लंघन पर कंपनियों के लिए 4% वार्षिक वैश्विक टर्नओवर तक का दंड प्रस्तावित है।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 90 करोड़ से अधिक है, जिनमें से 70% मोबाइल इंटरनेट का उपयोग करते हैं।
- डिजिटल सेवाओं पर डेटा उपयोग में पिछले पांच वर्षों में 150% की वृद्धि हुई है।
- सरकार का अनुमान है कि इस विधेयक से लगभग 130 करोड़ नागरिक प्रभावित होंगे।
तत्काल प्रभाव
इस विधेयक के पारित होते ही डिजिटल कंपनियों और सेवाओं को अपनी डेटा प्रबंधन नीतियों को संशोधित करना आवश्यक होगा। नागरिकों को अपने निजी डेटा के उपयोग को नियंत्रित करने का अधिकार मिलेगा। बाजारों में इस प्रक्रिया को लेकर कंपनियों के समायोजन की संभावना है। साथ ही, विदेशी निवेशकों की डेटा सुरक्षा संबंधी चिंता समाप्त होने की संभावना व्यक्त की गई है।
प्रतिक्रियाएँ
केंद्र सरकार ने विधेयक की स्वीकार्यता पर प्रसन्नता व्यक्त की है और कहा है कि यह भारत को एक डेटा-सुरक्षित राष्ट्र बनाएगा। विपक्षी दलों ने कुछ संशोधनों की मांग की है, विशेषकर निजता की रक्षा और सरकारी मॉनिटरिंग के प्रावधानों को लेकर। तकनीकी विशेषज्ञों ने इसे एक आवश्यक एवं स्वागत योग्य कदम बताया है, जबकि कुछ उद्योग जगत ने अनुपालन की जटिलताओं पर चिंता जताई है।
आगे क्या?
- विधेयक अब राज्य विधानसभाओं को स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा।
- उपयुक्त नियमावली विकसित की जाएगी।
- अगले छह माह में डेटा सुरक्षा प्राधिकरण का गठन किया जाएगा, जो कानून के पालन की निगरानी करेगा।
- सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
डेटा संरक्षण विधेयक 2025 भारत के डिजिटल युग में अधिकार और सुरक्षा की नई परिभाषा तय करेगा। ताजा अपडेट्स के लिए पढ़ते रहिए Questiqa Bharat।
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