संघीय संसद में हाल ही में डेटा संरक्षण विधेयक, 2024 को पारित किया गया है, जो देश में डिजिटल सुरक्षा के लिहाज से एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह विधेयक 12 अप्रैल 2024 को नई दिल्ली में विधानसभा सत्र के दौरान पारित हुआ। इसका उद्देश्य नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करना और डेटा संग्रहण, उपयोग, तथा साझा करने की प्रक्रिया को नियंत्रित करना है।
घटना क्या है?
डेटा संरक्षण विधेयक, 2024 का पारित होना देश की डेटा सुरक्षा नीतियों में नया अध्याय जोड़ता है। इस विधेयक के तहत, कंपनियों और सार्वजनिक निकायों को व्यक्तिगत डेटा के उपयोग हेतु स्पष्ट अनुमति लेनी अनिवार्य है। इसके साथ ही, डेटा उल्लंघन की स्थिति में कड़े दंड का प्रावधान भी है। यह कदम डिजिटलीकरण की बढ़ती प्रक्रिया में नागरिकों के अधिकारों की रक्षा और निजता के संतुलन के लिए जरूरी था।
कौन-कौन जुड़े?
इस विधेयक को केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने मिलकर प्रस्तुत किया। लोकसभा और राज्यसभा की संसदीय समिति ने विस्तृत विचार-विमर्श के बाद इसे अपने अनुमोदन दिया। इसके अतिरिक्त, भारतीय आंकड़ा संरक्षण प्राधिकरण (India Data Protection Authority – IDPA) के गठन का प्रावधान भी इसी विधेयक में शामिल है।
घटनाक्रम की समयरेखा:
- 10 मार्च 2024: विधेयक संसद में प्रस्तुत किया गया।
- 15 मार्च से 22 मार्च 2024: संसदीय समिति ने विभिन्न पक्षों से सुझाव और आपत्तियां सुनीं।
- 5 अप्रैल 2024: संसदीय समिति ने संशोधन सहित विधेयक लोकसभा में रखा।
- 12 अप्रैल 2024: विधेयक लोकसभा में बहुमत से पारित।
- 15 अप्रैल 2024: राज्यसभा में भी विधेयक को मंजूरी मिली।
आधिकारिक बयान/दस्तावेज़:
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज़ जारी कर कहा कि “यह कानून डिजिटल युग में भारतीय नागरिकों के डेटा को सुरक्षित रखने के लिए प्रभावी उपकरण प्रदान करेगा और डेटा संदिग्धों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करेगा।” प्राधिकरण का गठन भारत में डेटा उल्लंघन की घटनाओं को नियंत्रित करने में सहायक होगा।
पुष्टि-शुदा आँकड़े:
- सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो वर्षों में डेटा उल्लंघन की घटनाओं में 25 प्रतिशत वृद्धि देखी गई है।
- इस विधेयक के पारित होने से अनुमान है कि डेटा उल्लंघन के मामले 40 प्रतिशत तक कम हो सकते हैं।
- नई बजट सीमा के अंतर्गत इस प्राधिकरण के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
तत्काल प्रभाव:
विधेयक पारित होने के तुरंत बाद बड़ी आईटी कंपनियों ने अपनी डेटा नीति में संशोधन करना शुरू कर दिया है। नागरिकों को अपने डेटा के संबंध में अधिक नियंत्रण मिलेगा। साथ ही, डिजिटल कारोबार में पारदर्शिता बढ़ेगी और ग्राहक विश्वास में वृद्धि होगी।
प्रतिक्रियाएँ:
- सरकार ने इसे डिजिटल इंडिया अभियान के तहत एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया है।
- विपक्ष ने कहा कि विधेयक में कुछ तकनीकी कमियाँ हैं जिन्हें शीघ्र सुधारा जाना चाहिए।
- विशेषज्ञों का मानना है कि यह कानून भारत को वैश्विक डेटा सुरक्षा मानकों के करीब लाएगा।
- उद्योग जगत ने भी इसे सकारात्मक कदम बताया है, जिससे भारत में डेटा आधारित कारोबार को बढ़ावा मिलेगा।
आगे क्या?
केंद्र सरकार आगामी छह महीनों में भारतीय आंकड़ा संरक्षण प्राधिकरण का गठन करेगी। इसके अलावा, विधेयक के नियमों को लागू करने हेतु विभिन्न विभागों के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए नियमित बैठकें आयोजित होंगी। अगले संसद सत्र में इस विधेयक की समीक्षा भी प्रस्तावित है।
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