सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल 2024 को एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय निर्णय सुनाया है, जिसका उद्देश्य भारत में पर्यावरण संरक्षण के नियमों को और सख्त बनाना है। यह निर्णय प्रदूषण नियंत्रण और वन संरक्षण के क्षेत्र में नए संशोधनों को लेकर आया है, जो सरकार और उद्योग जगत दोनों के लिए चुनौतियाँ प्रस्तुत करेगा।
घटना क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने मौजूदा पर्यावरण संरक्षण कानूनों की समीक्षा करते हुए कई याचिकाओं पर सुनवाई की। अदालत ने फैसले में कहा है कि किसी भी औद्योगिक परियोजना को मंजूरी से पहले उसकी पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन रिपोर्ट (EIA) की कड़ी जांच आवश्यक है। साथ ही, वन क्षेत्रों में विकास कार्यों पर भी प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए गए हैं।
कौन-कौन जुड़े?
इस मामले में शामिल पक्षों में प्रमुख हैं:
- पर्यावरण मंत्रालय
- उद्योग और ग्रामीण विकास मंत्रालय
- संबंधित राज्य सरकारें
- पर्यावरण विशेषज्ञ
- सामाजिक संगठन एवं पर्यावरण गैर-सरकारी संगठन (NGOs)
आधिकारिक बयान/दस्तावेज़
सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि EIA रिपोर्ट को स्वतंत्र और पारदर्शी रूप से तैयार किया जाएगा। पर्यावरण नियमों के उल्लंघन पर कठोर सजा का प्रावधान होगा। पर्यावरण मंत्रालय ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि वे नियमों को शीघ्र प्रभावी करेंगे।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पाँच वर्षों में:
- वन क्षेत्रों में 12% की कमी
- प्रदूषण स्तर में 18% की वृद्धि
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से आगामी दो वर्षों में प्रदूषण स्तर में कम से कम 10% की गिरावट की उम्मीद है।
तत्काल प्रभाव
- औद्योगिक परियोजनाओं पर अस्थायी प्रतिबंध लग गए हैं।
- कई परियोजनाओं की मंजूरी स्थगित कर दी गई है।
- राज्य सरकारों को वन संरक्षण पर नए निर्देश जारी करने होंगे।
- नागरिकों और पर्यावरणविदों ने फैसले को सकारात्मक कदम माना है।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार ने आदेश का स्वागत किया और इसे राष्ट्रीय हित में बताया।
- विपक्ष ने विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखने पर जोर दिया।
- पर्यावरण विशेषज्ञों ने फैसले के महत्व को माना लेकिन क्रियान्वयन की पारदर्शिता और कड़ी कार्यवाही की मांग की।
- उद्योग संगठन चिंतित हैं और सरकार से संवाद की मांग कर रहे हैं।
- जनता में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ी है।
आगे क्या?
सरकार ने घोषणा की है कि वे 31 मई 2024 तक पर्यावरण सुरक्षा के लिए नई कार्ययोजना प्रस्तुत करेंगे। अगले छह महीनों में सभी परियोजनाओं की EIA पुनः समीक्षा की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट आगामी सुनवाई में इसके प्रभाव की समीक्षा करेगा।
यह फैसला भारतीय पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक मील का पत्थर माना जा रहा है, जो देश को स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण की ओर ले जाएगा।
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