सुप्रीम कोर्ट ने 5 जून 2024 को पर्यावरण संरक्षण के लिए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जो प्रदूषण नियंत्रण के क्षेत्र में नए और सख्त नियम लागू करता है। यह फैसला न केवल प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि जन स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिहाज से भी अत्यंत आवश्यक माना जा रहा है।
घटना क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान उद्योगों और नगर निकायों के लिए प्रदूषण नियंत्रण के सख्त नियम लागू करने का आदेश दिया है। अदालत ने जागरूकता और पारदर्शिता बढ़ाने, तथा जल, वायु और भूमि प्रदूषण को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने को कहा है। केंद्र और राज्यों की सरकारों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के कार्यों में पारदर्शिता लाने और उल्लंघन करने वालों पर संवेधानिक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।
समयरेखा
- 10 अप्रैल 2024: पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट में प्रदूषण स्तर में वृद्धि का पता चला।
- 20 अप्रैल 2024: जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर।
- 30 अप्रैल 2024: सुनवाई शुरू।
- 5 जून 2024: अंतिम आदेश जारी।
कौन-कौन जुड़े?
इस मामले में निम्नलिखित प्रमुख पक्ष शामिल हैं:
- सुप्रीम कोर्ट
- पर्यावरण मंत्रालय
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB)
- राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
- विभिन्न औद्योगिक संघ
- नागरिक और पर्यावरण संगठन
- पर्यावरण कार्यकर्ता और समाज के विभिन्न तबके
आधिकारिक बयान और दस्तावेज़
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि “पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देना प्रत्येक नागरिक और संस्थान की जिम्मेदारी है।” पर्यावरण मंत्रालय की नवीनतम रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले तीन वर्षों में वायु प्रदूषण में 15% की वृद्धि हुई है। कोर्ट की सुनवाई में केंद्र और राज्यों ने प्रदूषण नियंत्रण उपायों की समीक्षा प्रस्तुत की।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण की औसत स्तर 180 पीएम2.5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से बढ़कर 210 हो गया है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक माना जाता है।
- जल प्रदूषण में भी 12% की वृद्धि देखी गई है।
तत्काल प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र और राज्य सरकारों ने प्रदूषण नियंत्रण नीतियों को कड़ा करना शुरू कर दिया है। उद्योगों को नए पर्यावरण मानकों के अनुसार अपनी प्रक्रियाएं संशोधित करनी होंगी। इससे शहरी क्षेत्रों में पर्यावरणीय सुधार की उम्मीद है और नागरिकों में जागरूकता बढ़ेगी। बाजार में प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों की मांग में भी वृद्धि देखी गई है।
प्रतिक्रियाएँ
सरकार ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है और सभी संबंधित विभागों को शीघ्र कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। विपक्षी दलों ने भी पर्यावरण संरक्षण पर केंद्र की प्रतिबद्धता की सराहना की। पर्यावरण विशेषज्ञों ने इसे देश के लिए एक सकारात्मक कदम बताया, जबकि कुछ उद्योग समूहों ने नियमों में पारदर्शिता और व्यावहारिकता की मांग की है। नागरिक और पर्यावरण संगठन इस फैसले से उत्साहित हैं।
आगे क्या?
सरकार अगले तीन महीनों में प्रदूषण नियंत्रण कानूनों में संशोधन और उनका कठोर पालन करने का वादा कर चुकी है। राज्यों को अपनी प्रदूषण नियंत्रण योजनाओं की समीक्षा और सुधार करने के निर्देश दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने छह माह बाद सुधारों की प्रगति की समीक्षा सुनवाई का निर्धारण किया है।
यह फैसला पर्यावरण संरक्षण प्रति देश की गंभीरता को दर्शाता है और प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में एक नई पहल है। भविष्य में इसके क्रियान्वयन और परिणामों पर गृह मंत्रालय और पर्यावरण मंत्रालय नजर रखेंगे।
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