नई दिल्ली में 25 अप्रैल 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। यह निर्णय देश के पर्यावरणीय स्थिरता के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने नई गाइडलाइंस जारी की हैं, जो पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के लिए केंद्रीय और राज्य सरकारों को पालन करना अनिवार्य करेंगी।
घटना क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पर्यावरण संरक्षण को मजबूत करने हेतु नियमों का पुनः निर्माण किया है। यह गाइडलाइंस प्रदूषण नियंत्रण और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में कड़े कदम उठाने के निर्देश देती हैं। कोर्ट ने कहा कि यह कदम भारत में पर्यावरणीय संकट को कम करने के लिए जरूरी है, जहां औद्योगिकीकरण और शहरीकरण तेजी से बढ़ रहे हैं।
कौन-कौन जुड़े?
इस मामले में मुख्य भूमिका निभाई है:
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
- सुप्रीम कोर्ट
- विभिन्न राज्य सरकारें
- पर्यावरण विशेषज्ञ
अदालत ने प्रमुख केंद्रीय विभागों के साथ ही सामाजिक संगठनों और विशेषज्ञों की राय ली। इसके अतिरिक्त उद्योग और नागरिक संगठनों ने भी इस फैसले के विभिन्न पहलुओं पर प्रतिक्रिया दी।
आधिकारिक बयान और दस्तावेज़
सुप्रीम कोर्ट के आदेश में स्पष्ट किया गया है कि सभी उद्योगों को जल और वायु प्रदूषण नियंत्रण के कड़े मानकों का पालन करना होगा। मंत्रालय की ओर से एक प्रेस रिलीज़ जारी की गई है, जिसमें बताया गया है कि अगले साल के लिए पर्यावरण संरक्षण बजट में 15% की वृद्धि की गई है।
कोर्ट की तरफ से यह निर्देश दिया गया है कि राज्यों को पर्यावरणीय नीतियों के क्रियान्वयन की रिपोर्ट हर छह महीने में केंद्र को प्रस्तुत करनी होगी।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- भारत के औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाले प्रदूषित जल में 40% की कमी का लक्ष्य।
- पिछले पांच वर्षों में वायु प्रदूषण स्तर में 25% की वृद्धि।
- पर्यावरण संरक्षण पर खर्च में वृद्धि से पिछले वर्ष 12 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन में कमी।
तत्काल प्रभाव
इस फैसले के कारण:
- उद्योगों को पर्यावरणीय नियमों का सख्ती से पालन करना होगा।
- प्रदूषण स्तर में सुधार की उम्मीद जो नागरिकों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा।
- बाजारों में पर्यावरण-संवेदनशील उत्पादों की मांग बढ़ सकती है।
- सरकार को नई परियोजनाओं के लिए पर्यावरणीय अनुमोदन प्रक्रियाओं को कठोर बनाना होगा।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार ने निर्णय का स्वागत किया और इसे स्वच्छ एवं स्वस्थ पर्यावरण की ओर कदम बताया।
- विपक्ष ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिए।
- विशेषज्ञों ने निर्णय को समयानुकूल और प्रभावशाली बताया।
- उद्योगों ने इसे चुनौतीपूर्ण बताया और व्यापक मूल्यांकन की मांग की।
- आम जनता ने सोशल मीडिया के माध्यम से समर्थन किया।
आगे क्या?
आने वाले समय में:
- सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से छह महीने में पर्यावरण संरक्षण संबंधी रिपोर्ट मांगी है।
- मंत्रालय ने आगामी वित्त वर्ष में पर्यावरणीय बजट बढ़ाने का संकेत दिया है।
- आगामी संसद सत्र में पर्यावरण संरक्षण कानूनों में सुधार के प्रस्ताव लाए जा सकते हैं।
- सरकार और न्यायपालिका के सहयोग से पर्यावरण संरक्षण में मजबूती आएगी।
ताज़ा अपडेट्स के लिए पढ़ते रहिए Questiqa Bharat।
ज़्यादा कहानियां
लोकसभा में डेटा संरक्षण विधेयक पारित: जानिए क्या है इसका प्रभाव
पहली हिंदी एनिमेशन फिल्म महावीर नरसिंह 100 करोड़ क्लब में शामिल
सुपरस्टार राजिनिकांत की ‘कुली’ ने भोजपुरी बॉक्स ऑफिस पर मचाया तहलका