सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पर्यावरण संरक्षण को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जो देश में पर्यावरणीय नीतियों में क्रांतिकारी बदलाव लाने की संभावना रखता है। यह निर्णय 10 अप्रैल 2024 को दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने दिया।
घटना का परिचय
सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए सख्त नियम लागू करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रण के लिए कठोर कदम उठाने तथा मासिक प्रदूषण नियंत्रण रिपोर्ट सार्वजनिक करने के निर्देश दिए हैं। जल, वायु, और मिट्टी की सफाई और सुरक्षा पर विशेष जोर दिया गया है।
मुकदमे में जुड़े पक्ष
- केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
- विभिन्न राज्य सरकारें
- पर्यावरण संगठन
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB)
- राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCBs)
घटनाक्रम की समयरेखा
- 5 जनवरी 2024: सार्वजनिक शिकायतों के आधार पर याचिका दायर की गई।
- 15 फरवरी 2024: केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से रिपोर्ट मांगी गई।
- 20 मार्च 2024: याचिकाकर्ता और अन्य पक्षों की सुनवाई पूरी हुई।
- 10 अप्रैल 2024: सुप्रीम कोर्ट ने निर्देशात्मक आदेश जारी किए।
आधिकारिक बयान
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “पर्यावरण संरक्षण राष्ट्रीय सुरक्षा से कम नहीं। प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त नियम लागू करना अनिवार्य है।” केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इस फैसले का स्वागत करते हुए सभी राज्यों को आदेश पालन का निर्देश दिया है।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- भारत में औद्योगिक प्रदूषण 12% वार्षिक वृद्धि दर पर है।
- लगभग 15 लाख से अधिक लोग प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य समस्याओं से प्रभावित हैं।
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार अगले दो वर्षों में प्रदूषण में 25% कमी का लक्ष्य रखा गया है।
तत्काल प्रभाव
फैसले का प्रभाव स्पष्ट रूप से नागरिकों के स्वास्थ्य सुधार में दिखाई देगा। औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण नियंत्रण कड़ा होगा और पर्यावरणीय गुणवत्ता में सुधार होगा। यह निवेशकों को सतत विकास की दिशा में आगे बढ़ने का संकेत देता है।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार ने फैसले को स्वागत योग्य बताया और पर्यावरण सुरक्षा के लिए संसाधनों की व्यवस्था की घोषणा की।
- विपक्ष के नेताओं ने न्यायालय के निर्णय की प्रशंसा की।
- पर्यावरण विशेषज्ञों ने इसे बड़ी जीत कहा।
- उद्योग समूह नए नियमों के अनुरूप प्रणालियाँ अपडेट करने को तैयार हैं।
- नागरिकों ने इसे सकारात्मक कदम माना।
आगे की प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने अगले छह महीनों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए केंद्र और राज्य सरकारों से प्रभावी कार्ययोजना प्रस्तुत करने को कहा है। साथ ही पर्यावरण संरक्षण अधिनियमों के सख्त अनुपालन के लिए मॉनिटरिंग कमेटी गठित करने का भी आदेश दिया गया है।
यह फैसला देश में पर्यावरणीय सुधार के नए अध्याय की शुरुआत माना जा सकता है, जिसमें नियमित समीक्षा और रिपोर्टिंग के माध्यम से सुधार की गति बनी रहेगी।
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