सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर सुनाए गए अहम फैसले में देश के पर्यावरण नीति और नियमन को मजबूत बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। यह फैसला 20 अप्रैल 2024 को नई दिल्ली में सुनाया गया, जो पर्यावरण संरक्षण के लिए एक मील का पत्थर माना जा रहा है।
घटना क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सख्त नियम लागू करने के आदेश दिये हैं। यह निर्णय फालतू प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर नियंत्रण लगाने और सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है। केंद्र सरकार, राज्य पर्यावरण विभाग और बड़े उद्योग समूह इस मामले में शामिल थे।
कौन-कौन जुड़े?
- केंद्र सरकार का पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
- राज्य पर्यावरण विभाग
- औद्योगिक प्रतिनिधि
- पर्यावरण कार्यकर्ता
- सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश
घटनाक्रम की समयरेखा
- जनवरी 2024: पर्यावरण कार्यकर्ताओं द्वारा याचिका दायर की गई।
- फरवरी 2024: सुनवाई शुरू हुई और तर्क सुने गए।
- अप्रैल 2024: अंतिम फैसला सुनाया गया जिसमें सख्त नियम लागू करने की बात कही गई।
आधिकारिक बयान और दस्तावेज़
पर्यावरण मंत्रालय ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के लिए विभिन्न नीतियां और नियम बनाए हैं और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का समर्थन किया है। कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि पर्यावरण संरक्षण न केवल सरकारी दायित्व है बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को औद्योगिक गतिविधियों की नियमित जांच करने का निर्देश दिया गया है।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- 2024-25 के बजट में पर्यावरण संरक्षण के लिए 15% अतिरिक्त राशि आरक्षित की गई है।
- भारत के औद्योगिक क्षेत्रों में पिछले पांच वर्षों में प्रदूषण स्तर में 10% वृद्धि हुई है।
तत्काल प्रभाव
फैसले के बाद कई औद्योगिक इकाइयों ने नए नियमों का पालन करना शुरू कर दिया है। आम जनता में स्वच्छता और प्रदूषण नियंत्रण के प्रति जागरूकता बढ़ी है। बाजारों में पर्यावरण संरक्षण से जुड़े उत्पादों की मांग में भी वृद्धि हुई है।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार: फैसले का स्वागत किया और इसे पर्यावरण स्वास्थ्य के लिए आवश्यक बताया।
- विपक्षी दल: फैसले का समर्थन किया।
- विशेषज्ञ: इसे पर्यावरण संरक्षण में मील का पत्थर कहा।
- उद्योग जगत: आदेशों का पालन करने को सहमत, लेकिन नीति निर्धारण में अपनी राय शामिल करने की मांग।
आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को अगले छह माह के भीतर प्रदूषण नियंत्रण के लिए विस्तृत कार्ययोजना प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही सरकार ने पर्यावरण से जुड़ी नई नीतियाँ और योजनाएं अगले त्रैमासिक संसद सत्र में पेश करने की घोषणा की है।
यह फैसला भारत में पर्यावरण संरक्षण को मजबूती देगा और प्रदूषण नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ताज़ा अपडेट्स के लिए पढ़ते रहिए Questiqa Bharat।
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