सुप्रीम कोर्ट ने 12 अप्रैल 2024 को देश में पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण दिशानिर्देश जारी किए हैं। यह कदम भारत के सतत विकास और पर्यावरण सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
घटना क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रण और नदीनालों की सफाई के लिए सख्त मानदंड तय किए हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पर्यावरण की सुरक्षा राज्य और केंद्र सरकार दोनों की जिम्मेदारी है। न्यायालय ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वे 6 महीनों के भीतर प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरणों के कामकाज को सशक्त बनाएं और पर्यावरणीय मानकों का कठोर पालन सुनिश्चित करें।
कौन-कौन जुड़े?
- भारत सरकार का पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
- विभिन्न राज्य सरकारों के पर्यावरण विभाग
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
- भारतीय पर्यावरण संरक्षण संगठन और नागरिक प्रतिनिधि
आधिकारिक बयान/दस्तावेज़
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों में कहा गया है कि औद्योगिक इकाइयों को जल और वायु प्रदूषण के लिए निर्धारित सीमा के अंदर रहना अनिवार्य होगा। उल्लंघन करने वाली इकाइयों को तत्काल ठप कर दिया जाएगा। पर्यावरण मंत्रालय ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे पर्यावरण संरक्षण में मजबूती आएगी।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- वर्ष 2023 की तुलना में औद्योगिक प्रदूषण से बीमारियों में 15% की वृद्धि
- पर्यावरण मंत्रालय द्वारा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्य क्षमता बढ़ाने हेतु 500 करोड़ रुपये का सालाना बजट आवंटन
तत्काल प्रभाव
इस फैसले के बाद कई औद्योगिक इकाइयों ने अपनी प्रक्रियाओं की समीक्षा शुरू कर दी है। निर्यात पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा क्योंकि कई देशों ने पर्यावरण मानकों के पालन की मांग की है। आम नागरिकों के लिए स्वच्छ हवा और जल उपलब्ध होना जल्द संभव होगा।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार ने इसे विकास में सकारात्मक मोड़ बताया है।
- विपक्ष ने कहा कि नियमों का प्रभावी पालन जरूरी है।
- पर्यावरण विशेषज्ञों ने इसे संतुलित और व्यावहारिक निर्णय माना।
- उद्योग प्रतिनिधियों ने पर्यावरण नियमों के पालन का आश्वासन दिया।
आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट ने 6 महीने के भीतर नियमों के प्रभाव का आकलन करने के लिए एक समिति गठित की है, जो अगली सुनवाई में रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। साथ ही, केंद्र और राज्य सरकारों को नियमित समीक्षा बैठकें आयोजित करनी होंगी।
पर्यावरण संरक्षण के लिए यह निर्देश देश में स्वच्छ वायु और जल के लिए मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। ताज़ा अपडेट्स के लिए पढ़ते रहिए Questiqa Bharat।
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