सुप्रीम कोर्ट ने 12 अप्रैल 2024 को पूरे देश में पर्यावरण संरक्षण के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जो पर्यावरणीय सुरक्षा को और सुदृढ़ करेंगे। यह निर्णय सरकार और नागरिकों दोनों के लिए महत्वपूर्ण है ताकि वे पर्यावरण संरक्षण को सुनिश्चित कर सकें।
घटना क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण से जुड़े मामलों में अधिक प्रभावी अनुगमन और कड़े नियंत्रण के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य वायु, जल, और ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करना है। अदालत ने राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों की सरकारों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के माध्यम से प्रभावी कदम उठाने का आदेश दिया है।
कौन-कौन जुड़े?
- प्रधान न्यायाधीश के नेतृत्व वाली पीठ
- पर्यावरण मंत्रालय
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB)
- विभिन्न राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
इन सभी पक्षों को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन सुनिश्चित करना है।
आधिकारिक बयान और दस्तावेज़
सुप्रीम कोर्ट के आदेश में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े सभी नियमों का कड़ाई से पालन किया जाएगा। कोर्ट ने छह महीनों के भीतर प्रदूषण स्तरों को सुधारने के लिए एक प्रभावी रोडमैप प्रस्तुत करने को कहा है। पर्यावरण मंत्रालय ने प्रेस रिलीज़ में कहा है कि वे कोर्ट के निर्देशों का पूरी ईमानदारी से पालन करेंगे।
पुष्टि-शुदा आंकड़े
- भारत के 15 शहरों में औसत वायु प्रदूषण स्तर WHO के मापदंडों से 70% अधिक हैं।
- जल प्रदूषण में पिछले पांच वर्षों में 30% की वृद्धि हुई है।
इन आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त कदम उठाने की आवश्यकता जताई है।
तत्काल प्रभाव
- सरकार नई प्रदूषण नियंत्रण परियोजनाएं और योजनाएं शुरू करेगी।
- उद्योगों पर कड़े प्रदूषण नियंत्रण मानक लागू होंगे।
- नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
- पर्यावरण अनुकूल उत्पादों की मांग बढ़ेगी।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया है और इसे सर्वोच्च प्राथमिकता देने का आश्वासन दिया है।
- विपक्षी दल भी इसे सकारात्मक कदम मान रहे हैं।
- पर्यावरण विशेषज्ञ इस आदेश को प्रदूषण से लड़ाई में निर्णायक मानते हैं।
- उद्योग जगत ने कुछ चिंताएँ जताईं लेकिन नियमों के पालन का वादा किया।
आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट ने अगले छह महीनों में प्रदूषण नियंत्रण की स्थिति पर पुनः सुनवाई करने का ऐलान किया है। संबंधित विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि वे समय-समय पर कोर्ट को कार्यवाही की रिपोर्ट प्रस्तुत करें। भविष्य में और भी कड़े पर्यावरण संरक्षण उपाय लागू किए जा सकते हैं।
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