नई दिल्ली, 26 जून 2024। सुप्रीम कोर्ट ने यौन अपराधों से पीड़ितों की सुरक्षा को लेकर अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र और सभी राज्यों को पीड़ितों की सुरक्षा एवं सहायता के लिए त्वरित कदम उठाने निर्देश दिए। यह निर्णय भारतीय न्यायपालिका की संवेदनशीलता और पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा को मजबूती प्रदान करता है।
घटना क्या है?
सुप्रीम कोर्ट में यौन अपराधों के मामलों के संदर्भ में पीड़ितों की सुरक्षा एवं न्यायिक प्रक्रिया को तेज़ करने की याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को निर्देशित किया कि वे यौन अपराधों की रिपोर्टिंग, जांच और पीड़ितों की सहायता के लिए आवश्यक प्रावधानों का शीघ्र पालन करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि संबंधित अधिकारी किसी भी प्रकार की लापरवाही के लिए जवाबदेह होंगे।
कौन-कौन जुड़े?
इस मामले में मुख्य पक्ष हैं:
- सुप्रीम कोर्ट
- केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय
- गृह मंत्रालय
- राज्य सरकारें
- यौन अपराध पीड़ित सहायता समूह और NGOs
न्यायमूर्ति यू.यू. ललित और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने इस मामले पर अंतिम आदेश दिया।
आधिकारिक बयान और दस्तावेज़
सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय बुधवार को जारी किया जिसमें स्पष्ट निर्देश दिये गए कि यौन अपराध पीड़ित की सुरक्षा, निजता और मनोवैज्ञानिक सहायता के लिए केंद्र और राज्यों द्वारा विशेष प्रोटोकॉल अपनाए जाएं।
केंद्र सरकार ने कहा कि वे आदेशों का पूर्ण पालन सुनिश्चित करेंगे और आगामी तीन महीनों में सुधारात्मक कार्यों की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
पुष्टि-शुदा आंकड़े
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NBT) के 2023 के आंकड़ों के अनुसार:
- भारत में यौन अपराध के मामलों में 12% की वृद्धि हुई है।
- न्यायिक प्रक्रिया में देरी के कारण 60% मामलों में निष्पक्ष न्याय देर से हो पाता है।
इन आंकड़ों के चलते पीड़ितों की सुरक्षा एक चुनौतीपूर्ण विषय बन गया है।
तत्काल प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पीड़ितों और उनके परिवारों में सुरक्षा की भावना बढ़ेगी। संबंधित विभागों की सक्रियता से न्याय प्रक्रिया में सुधार और अपराध की रोकथाम संभव होगी। न्याय व्यवस्था में हुई तीव्रता अपराधीकरण दर को कम करने में सहायक साबित होगी।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार ने अदालत के आदेश का स्वागत किया और प्रोटोकॉल लागू करने के लिए विशेष टीम गठित करने का ऐलान किया।
- विपक्षी दलों ने कहा कि यह कदम सकारात्मक है, लेकिन प्रभावी क्रियान्वयन के लिए निरंतर निगरानी आवश्यक होगी।
- सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे पीड़ितों के अधिकारों के लिए बड़ी जीत बताया।
आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से तीन महीनों के भीतर सुधारात्मक कार्यवाहियों की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इसके अतिरिक्त, संबंधित मंत्रालयों को यह भी कहा गया है कि वे न केवल सुरक्षा के उपाय करें, बल्कि अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी तेज करें। आगामी समीक्षा सुनवाई में संभावित सुधारों पर चर्चा होगी।
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश यौन अपराधों से पीड़ितों के संरक्षण और न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाने की दिशा में एक मील का पत्थर
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