18 जनवरी शनिवार, 2025 पटना: लालू परिवार में चल रही उठापटक ने परिवार के भीतर की जटिल गतिशीलता को सामने ला दिया है, खासकर तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव के बीच।
छह साल में यह दूसरा मौका होगा, जब राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक पटना में हो रही है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद आज एक होटल में बैठक की अध्यक्षता करेंगे। इसमें मुख्य रूप से सांगठनिक चुनाव की तारीखें तय की जाएंगी। महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार की घोषणा के साथ ही विधानसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा की जाएगी।
तेज प्रताप यादव ने एक्स पर पोस्ट भी किया और एक बार फिर राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सामने यह चर्चा का विषय बन गया है। पोस्ट में लिखा है, “नेतृत्व कोई पद या उपाधि नहीं है, यह कार्य और उदाहरण है। यह पूर्णतावाद के बारे में नहीं है, यह प्रयास के बारे में है। और जब आप हर दिन वह प्रयास करते हैं, तो परिवर्तन होता है। इसी तरह बदलाव होता है। अधिक सपने देखें, अधिक सीखें, अधिक करें और अधिक बनें…”
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तेजस्वी के नेतृत्व को चुनौती देने पर मुहर लगने की चर्चा है, जिसके पहले तेज प्रताप ने एक्स पर पोस्ट किया था। जिसमें तेज प्रताप यादव खुद को अगला सीएम बता रहे हैं।
जबकि तेजस्वी अपने पिता लालू प्रसाद यादव की अनुपस्थिति में पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं, वहीं तेज प्रताप अपने विवादित बयानों और हरकतों से सुर्खियां बटोर रहे हैं। तेज प्रताप यादव विवादों के केंद्र में रहे हैं, उन्होंने राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर हमला बोला है और लालू की बीमारी के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया है। उनके इस कदम को उतावलेपन के तौर पर देखा गया है और इससे उनके भाई तेजस्वी को शर्मिंदगी उठानी पड़ी है।
पार्टी की बागडोर संभालने के बाद से ही उन्होंने राजनीतिक साहस दिखाया है, लेकिन कुछ गलतियां भी की हैं, जैसे कि अपने पिता के शासनकाल के दौरान राजपूतों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले शब्द बाबू साहब के आगे से गुजरते समय गरीब लोगों के सिर ऊंचा रखने के बारे में बोलना। यह टिप्पणी आश्चर्यजनक थी, क्योंकि उन्होंने पहले बिहार के लोगों से अपने माता-पिता के 15 साल के शासनकाल के दौरान की गई किसी भी चूक के लिए माफ़ी मांगी थी।
लालू परिवार में उथल-पुथल कोई नई बात नहीं है, और तेजस्वी और तेज प्रताप के बीच सत्ता संघर्ष जारी है। हालांकि, तेज प्रताप की हालिया हरकतों ने इस मुद्दे को सामने ला दिया है। राज्य चुनावों में जाति के स्तर पर ध्रुवीकरण के बाद से राज्य ने एक लंबा सफर तय किया है, और कोई भी पार्टी मतदाताओं के किसी विशेष वर्ग या जाति को अलग-थलग करने का जोखिम नहीं उठा सकती है। अधिक अपडेट के लिए क्वेस्टिका इंडिया और क्वेस्टिका भारत पढ़ते रहें।
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