ढाका, 11 अप्रैल:
बांग्लादेश में जारी राजनीतिक तनाव के बीच एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। देश की सेना के पांच वरिष्ठ अधिकारियों को पिछले साल जुलाई में हुए छात्र विद्रोह में कथित संलिप्तता के आरोप में नजरबंद कर दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, इन अधिकारियों को 5 अप्रैल को ढाका छावनी में उनके सरकारी आवासों में कड़ी निगरानी के तहत नजरबंद किया गया है।
यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार उज़ ज़मान रूस की आधिकारिक यात्रा पर हैं। इस घटनाक्रम ने ढाका में तेजी से बदलते राजनीतिक परिदृश्य की ओर अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया है।
नजरबंद किए गए अधिकारियों में दो ब्रिगेडियर, एक कर्नल, एक लेफ्टिनेंट कर्नल और एक मेजर शामिल हैं। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इनकी पहचान ब्रिगेडियर जनरल एस.एम. जकारिया हुसैन (इंजीनियर्स ब्रिगेड), ब्रिगेडियर जनरल इमरान हमीद (इन्फैंट्री ब्रिगेड), कर्नल अब्दुल्ला अल-मोमेन (रैपिड एक्शन बटालियन), लेफ्टिनेंट कर्नल मोहम्मद रिजवानुल इस्लाम (बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश) और मेजर मोहम्मद नोमान अल फारूक (ईस्ट बंगाल रेजीमेंट) के रूप में की है। उल्लेखनीय है कि ब्रिगेडियर हमीद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के एडीसी भी रह चुके हैं।
सभी अधिकारियों को 24 घंटे की निगरानी में रखा गया है, उनके सभी कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया है और देश छोड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। अंतरिम सरकार ने अभी तक इन अधिकारियों के नाम या आरोपों को सार्वजनिक नहीं किया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार उनके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है।
ICT की रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद जनरल ज़मान—जो पहले पर्याप्त सबूत के बिना कार्रवाई करने को लेकर हिचकिचा रहे थे—ने नजरबंदी की अनुमति दी। एक अधिकारी के हवाले से बताया गया, “यह एक खुली गिरफ्तारी है। वे अपने घरों में रह रहे हैं, लेकिन सख्त निगरानी में हैं।”
इसी बीच, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुश्किलें भी लगातार बढ़ रही हैं। जुलाई विद्रोह के बाद अगस्त में पद छोड़ने और भारत में शरण लेने वाली हसीना के खिलाफ अब भ्रष्टाचार के एक मामले में नया गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। इस मामले में उनकी बेटी साइमा वाजेद पुतुल और 17 अन्य लोग भी आरोपी हैं। आरोप है कि इन्होंने धोखाधड़ी से आवासीय प्लॉट हासिल किए।
सेना अधिकारियों और पूर्व राजनीतिक नेताओं के खिलाफ एक साथ की गई कानूनी कार्रवाई से बांग्लादेश में गहराते राजनीतिक संकट की स्थिति स्पष्ट होती है, जो देश के भविष्य और स्थिरता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।
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