22 अप्रेल नई दिल्ली: मालदीव ने अपनी सैन्य क्षमताएं तेज़ी से बढ़ानी शुरू कर दी हैं। हाल ही में देश ने ड्रोन, मिसाइल लॉन्चर से लैस जहाज़ और बख्तरबंद सैन्य वाहन खरीदे हैं। यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब भारत और मालदीव के बीच रिश्तों में खटास आई है, खासकर राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़ु के सत्ता में आने के बाद।
मालदीव की सैन्य तैयारियों में ताज़ा जोड़ संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से आयात किए गए पाँच AJBAN 442A बख्तरबंद वाहन हैं। इस सौदे को गुप्त रखा गया था, लेकिन वाहन हाल ही में हुलहुले द्वीप पर उतारे जाते समय कैमरे में कैद हो गए। इसके बाद, 19 अप्रैल को मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स (MNDF) की 133वीं वर्षगांठ पर इन बख्तरबंद गाड़ियों को औपचारिक रूप से प्रदर्शित किया गया।
स्थानीय समाचार वेबसाइट Adhadhu के मुताबिक, ये वाहन सबसे पहले यूएई से श्रीलंका भेजे गए थे, और फिर 9 अप्रैल को मालदीव स्टेट शिपिंग (MSS) के ज़रिए मालदीव लाए गए। ये गाड़ियाँ UAE की सरकारी डिफेंस कंपनी EDGE ग्रुप द्वारा तैयार की गई हैं। इन्हें खासतौर पर सैन्य अभियानों के लिए बनाया गया है। इन वाहनों में दूर से चलाए जा सकने वाले हथियार, अतिरिक्त कवच, छत पर हैच और अन्य तकनीकी बदलाव किए गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि एक गाड़ी की कीमत लगभग 7 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 5.8 करोड़ मालदीवियन रूफिया) है। पाँच गाड़ियों की कुल कीमत लगभग 35 लाख डॉलर यानी करीब 29 करोड़ भारतीय रुपये आंकी जा रही है।
यह केवल एक अकेला सौदा नहीं है। पिछले दो वर्षों में मालदीव ने अपने सैन्य ढांचे को मज़बूत करने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। तुर्की से खरीदे गए Bayraktar TB2 ड्रोन इस दिशा में एक बड़ी शुरुआत थे, जिनकी कुल कीमत लगभग 3.7 करोड़ डॉलर रही। इसके बाद तुर्की से एक मिसाइल लॉन्चर वाला जहाज़ भी मालदीव की नौसेना में शामिल किया गया, जिससे देश की समुद्री सुरक्षा क्षमता में इज़ाफा हुआ है।
हालांकि मालदीव की सरकार ने अब तक इन खरीदों को किसी विशिष्ट अंतरराष्ट्रीय परिस्थिति से सीधे तौर पर नहीं जोड़ा है, लेकिन समय और घटनाओं की गति को देखते हुए इन कदमों को भारत-मालदीव तनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। राष्ट्रपति मुहम्मद मुइज़ु के कार्यभार संभालने के बाद मालदीव की विदेश और रक्षा नीति में बदलाव साफ दिखाई दे रहा है। उन्होंने पहले ही संकेत दे दिए हैं कि देश अब अपने निर्णय स्वतंत्र रूप से लेगा।
मालदीव की इन सैन्य तैयारियों के पीछे यूएई की सरकारी कंपनी EDGE Group की अहम भूमिका है, जो 2019 में स्थापित की गई थी और अब रक्षा उपकरणों की आपूर्ति में एक बड़ी भूमिका निभा रही है। कंपनी 25 से ज्यादा संस्थाओं के साथ मिलकर रक्षा तकनीकों का विकास करती है।
इन नए समझौतों और उपकरणों के साथ मालदीव अब एक नई रणनीतिक दिशा में बढ़ता दिखाई दे रहा है, जिसे भारत समेत पूरा क्षेत्र गौर से देख रहा है।
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