July 20, 2025

QuestiQa भारत

देश विदेश की खबरें आप तक

केवल ज़मीन नहीं, कश्मीरियों को अपनाइए: घाटी में तनाव के बीच ओवैसी की मोदी सरकार से भावुक अपील

Share Questiqa भारत-
Advertisements
Ad 5

हैदराबाद/श्रीनगर

एक तीखे और भावनात्मक बयान में एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से अपील की है कि वे “केवल कश्मीर की ज़मीन नहीं, बल्कि कश्मीरी लोगों को भी अपनाएं।” यह बयान हाल ही में घाटी में पाकिस्तान के कृत्यों के खिलाफ हुए प्रदर्शनों और क्षेत्रीय तनाव के बढ़ने के बीच आया है, जिसमें सैन्य तैनातियां और जम्मू-कश्मीर में अस्थिरता फिर से उभरती दिखाई दे रही है।

हैदराबाद में सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा,
“कश्मीरी कोई ट्रॉफी नहीं हैं जिसे दिखाया जाए या कोई संपत्ति नहीं हैं जिसे इस्तेमाल किया जाए। वे नागरिक हैं, जिनके अधिकार, भावनाएं और आकांक्षाएं हैं। अगर आप वाकई में कश्मीर से प्रेम करते हैं, तो ज़मीन से नहीं, कश्मीरियों से करें।”

Advertisements
Ad 7

संदर्भ: घाटी में बढ़ता तनाव

पिछले हफ्ते के दौरान पाकिस्तान की तरफ से युद्धविराम उल्लंघनों और भड़काऊ बयानों की खबरों के बाद कश्मीर में राजनीतिक माहौल तेजी से गर्म हुआ है। कई जिलों में हज़ारों लोग, विशेष रूप से युवा, सड़कों पर उतर आए — पाकिस्तान के समर्थन में नहीं, बल्कि इस बात से नाराज़ होकर कि पाकिस्तान कश्मीर को राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है।

एक दुर्लभ लेकिन महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, बारामूला, पुलवामा और अनंतनाग जैसे क्षेत्रों में पाकिस्तान-विरोधी नारे गूंजते सुने गए। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में कश्मीरी युवाओं को पाकिस्तानी झंडे और नेताओं के पोस्टर जलाते हुए देखा जा सकता है। यह जनभावना में बदलाव का संकेत है — और ओवैसी चेताते हैं कि यह एक ऐसा मौका है जिसे भारत सरकार को गंवाना नहीं चाहिए।

ओवैसी का संदेश: “यह जुड़ाव का सही समय है”

ओवैसी ने ज़ोर दिया कि इस पाकिस्तान-विरोधी भावना को केवल रणनीतिक बढ़त के रूप में न देखा जाए, बल्कि इसे कश्मीरियों और शेष भारत के बीच भरोसा फिर से कायम करने के ऐतिहासिक अवसर के रूप में देखा जाए।

“और सैनिक भेजने की बजाय, जरा सहानुभूति भेज कर देखिए,” उन्होंने कहा।
“शक्ति प्रदर्शन की बजाय, उन घावों को भरिए जो दशकों की उपेक्षा और गलतफहमी से हुए हैं।”

उन्होंने केंद्र सरकार को याद दिलाया कि कश्मीर में राजनीतिक स्थिरता केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि भावनात्मक, आर्थिक और सांस्कृतिक एकीकरण से ही संभव है।

मोदी और शाह को सीधा संदेश

प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह को सीधी अपील करते हुए ओवैसी ने कहा:
“आपके पास कश्मीर की कहानी को बदलने की ताक़त है। अगर आप वाकई मानते हैं कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है, तो कश्मीरियों को भी अभिन्न नागरिक की तरह ट्रीट कीजिए। सिर्फ अनुच्छेद 370 के हटाने का जश्न मत मनाइए — उसे प्रेम, समावेश और समानता से आगे बढ़ाइए।”

उन्होंने केंद्र सरकार की चुप्पी पर भी सवाल उठाया — खासकर नागरिक अशांति और युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी को लेकर।
“कहाँ हैं वे वादे किए गए नौकरियां, निवेश और स्टार्टअप्स?” उन्होंने पूछा।
“भारत की मुख्यधारा की राजनीतिक चर्चा में कश्मीरियों की आवाज़ कहाँ है?”

Advertisements
Ad 4

“विरोध देशद्रोह नहीं होता”

ओवैसी ने कश्मीरियों के विरोध के अधिकार का बचाव किया — चाहे वह पाकिस्तान के खिलाफ हो या भारत सरकार की नीतियों के खिलाफ, जिन्हें वे अन्यायपूर्ण मानते हैं।
“विरोध को देशद्रोह मत मानिए। अगर कश्मीरी असहज सवाल पूछते हैं, तो उन्हें सुनीए। देशद्रोह के केस मत लगाइए। संवाद करिए — यही लोकतंत्र की असली पहचान है,” उन्होंने कहा।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं मिली-जुली

ओवैसी के इस बयान पर राजनीतिक हलकों से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आईं। कांग्रेस और पीडीपी के नेताओं ने जहां उनके संदेश का स्वागत किया, वहीं बीजेपी के नेताओं ने इसे “राजनीतिक और दिखावटी” बताया।

जम्मू-कश्मीर बीजेपी प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा,
ओवैसी हमेशा पीड़ित कार्ड खेलने के लिए जाने जाते हैं। मोदी सरकार ने कश्मीर के लिए पिछले 5 सालों में जो किया, वह कांग्रेस ने 50 साल में नहीं किया। उनकी सलाह बेमतलब और गुमराह करने वाली है।”

हालांकि, कई स्वतंत्र कश्मीरी सोशल मीडिया यूज़र्स ने ओवैसी के बयान को “साहसिक”, “समयानुकूल” और “संवेदनशील” बताया।

केंद्र सरकार के लिए एक कसौटी

जैसे ही कश्मीर एक बार फिर राष्ट्रीय ध्यान का केंद्र बना है, ओवैसी का बयान एक साथ चेतावनी और रोडमैप दोनों के रूप में सामने आया है। यह सरकार को चुनौती देता है कि वह राष्ट्रवाद की बयानबाज़ी से आगे बढ़कर संवेदना और स्पष्टता के साथ काम करे।

अब बड़ा सवाल ये है:
क्या नई दिल्ली सुनेगी?
या यह मौका — सच्ची मेलजोल और एकता की संभावना से भरा — चुप्पी और सैन्य कार्रवाइयों की भेंट चढ़ जाएगा?

अधिक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट्स और गहन कवरेज के लिए जुड़े रहें QUESTIQABHARAT

About The Author

You cannot copy content of this page

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com