महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी (MVA) के घटक दलों—शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और कांग्रेस—के बीच हाल ही में एक नया विवाद उत्पन्न हुआ है। शिवसेना (UBT) के नासिक शहर इकाई के उपाध्यक्ष बाला दराडे ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ विवादास्पद बयान देते हुए कहा कि यदि गांधी नासिक आते हैं, तो उनका चेहरा काला किया जाएगा और उनकी रैली पर पत्थर फेंके जाएंगे। यह बयान गांधी द्वारा हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर पर की गई टिप्पणियों के संदर्भ में दिया गया था। इस घटना ने MVA के भीतर वैचारिक मतभेदों को उजागर किया है और गठबंधन की एकता पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है।
बाला दराडे ने सावरकर की जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, “राहुल गांधी ने सावरकर के लिए अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया है, और उनके खिलाफ नासिक में मामला दर्ज किया गया है। हम सावरकर का अपमान सहन नहीं करेंगे। जब वह नासिक आएंगे, तो हम उनका चेहरा काला करेंगे, और यदि हम वहां नहीं पहुंच सके, तो हम उनकी रैली पर पत्थर फेंकेंगे” ।
इस बयान के बाद कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि राहुल गांधी ने सावरकर के खिलाफ कोई अपमानजनक भाषा का प्रयोग नहीं किया, बल्कि केवल ऐतिहासिक तथ्यों का उल्लेख किया है। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी के परिवार ने देश के लिए बलिदान दिया है, और वह ऐसे खोखले धमकियों से डरने वाले नहीं हैं” ।
विनायक दामोदर सावरकर एक विवादास्पद ऐतिहासिक व्यक्तित्व हैं। जहां एक ओर उन्हें हिंदुत्व विचारधारा के प्रमुख प्रवर्तक और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में सम्मानित किया जाता है, वहीं दूसरी ओर उनके कुछ कार्यों और विचारों पर आलोचना भी होती रही है। राहुल गांधी ने पहले भी सावरकर को ‘माफीवीर’ कहकर उनकी आलोचना की थी, जिससे पहले भी राजनीतिक विवाद उत्पन्न हुए थे।
शिवसेना (UBT) और कांग्रेस दोनों MVA के घटक दल हैं, लेकिन सावरकर के प्रति उनके दृष्टिकोण में स्पष्ट अंतर है। शिवसेना सावरकर को एक महान राष्ट्रभक्त मानती है, जबकि कांग्रेस के कुछ नेता उनके विचारों की आलोचना करते हैं। यह वैचारिक मतभेद गठबंधन की एकता के लिए चुनौती बन सकते हैं।
बाला दराडे के बयान के बाद शिवसेना (UBT) की प्रवक्ता सुषमा अंधारे ने कहा कि यह दराडे का व्यक्तिगत बयान है और पार्टी की आधिकारिक राय नहीं है । हालांकि, कांग्रेस ने इस बयान की कड़ी निंदा की और उम्मीद जताई कि उद्धव ठाकरे दराडे के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
यह घटना MVA के भीतर वैचारिक मतभेदों को उजागर करती है और गठबंधन की स्थिरता पर प्रश्न उठाती है। यदि ऐसे विवाद आगे भी जारी रहते हैं, तो यह गठबंधन के लिए गंभीर चुनौती बन सकते हैं।बाला दराडे का बयान न केवल राजनीतिक असहमति को दर्शाता है, बल्कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी प्रश्न उठाता है। राजनीतिक दलों को चाहिए कि वे वैचारिक मतभेदों को संवाद और बहस के माध्यम से सुलझाएं, न कि धमकी और हिंसा के माध्यम से। MVA जैसे गठबंधन के लिए यह आवश्यक है कि वे अपने घटक दलों के बीच वैचारिक मतभेदों को समझदारी से संभालें, ताकि गठबंधन की एकता और स्थिरता बनी रहे।
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