असम में भारी बारिश और प्रमुख नदियों के जलस्तर में निरंतर वृद्धि के चलते बाढ़ की स्थिति दिन-ब-दिन भयावह होती जा रही है। राज्य के कुल 21 जिलों में बाढ़ ने कहर बरपाया है, जिससे अब तक 6.5 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं और 17 लोगों की जान जा चुकी है। स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन एजेंसियां राहत कार्य में जुटी हुई हैं, लेकिन लगातार बारिश और नदियों के उफान ने स्थिति को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
सबसे अधिक नुकसान श्रीभूमि जिले में हुआ है, जहां 2,31,536 लोग बाढ़ की चपेट में आए हैं। इसके अलावा नागांव जिले में 99,819 लोग और कछार जिले में 89,344 लोग प्रभावित हुए हैं। बाढ़ की विभीषिका इतनी गंभीर है कि हजारों घर जलमग्न हो गए हैं, खेतों में खड़ी फसलें नष्ट हो गई हैं और ग्रामीणों को अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करना पड़ रहा है। स्कूल, सड़कें, अस्पताल और अन्य सार्वजनिक सेवाएं भी बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।
सरकार ने बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए अब तक 223 राहत शिविर और 288 राहत वितरण केंद्र शुरू किए हैं, जहां लोगों को खाना, पानी, दवाइयां और जरूरी सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। लगभग 39,746 लोग इन राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की टीमें बाढ़ग्रस्त इलाकों में तैनात की गई हैं। नावों और हेलीकॉप्टरों की मदद से कई क्षेत्रों में फंसे हुए लोगों को निकाला गया है।

नदियों के जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है। ब्रह्मपुत्र, बराक, धलेस्वरी, कटाखाल सहित सात प्रमुख नदियाँ खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। खासकर हैलाकांडी जिले में कटाखाल नदी ने अपने ऐतिहासिक उच्चतम स्तर को पार कर लिया है, जिससे वहां की स्थिति सबसे चिंताजनक बनी हुई है। नदियों का रौद्र रूप देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि यदि बारिश यूं ही जारी रही, तो स्थिति और भी बदतर हो सकती है।
मौसम विभाग ने भी अगले कुछ दिनों तक राहत की कोई उम्मीद नहीं जताई है। गुवाहाटी स्थित क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, असम के अधिकांश हिस्सों में मध्यम से भारी बारिश की संभावना बनी हुई है। धुबरी, दक्षिण सालमारा-मनकाचर, गोलपारा और कोकराझार जिलों में गरज के साथ तेज हवाएं चलने की चेतावनी जारी की गई है। इससे राहत और बचाव कार्यों पर भी असर पड़ने की आशंका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से टेलीफोन पर बात कर बाढ़ की स्थिति की विस्तृत जानकारी ली है और केंद्र सरकार की ओर से हर संभव मदद का भरोसा दिलाया है। केंद्र और राज्य सरकार दोनों मिलकर राहत कार्य को और तेज करने की कोशिश कर रही हैं। सैन्य बलों को भी तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि आपात स्थिति में तुरंत सहायता उपलब्ध कराई जा सके।
असम के लोगों के लिए यह समय अत्यंत कठिनाई भरा है। बाढ़ न केवल जीवन और संपत्ति को नुकसान पहुँचा रही है, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से कृषि और ग्रामीण बाजारों पर भी बुरा असर डाल रही है। फसलों के नुकसान के चलते आने वाले महीनों में खाद्य संकट की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। राज्य सरकार ने किसानों को विशेष सहायता देने की योजना पर विचार शुरू कर दिया है।
अंत में, प्रशासन और विशेषज्ञों की ओर से नागरिकों से अपील की गई है कि वे अफवाहों से दूर रहें, राहत कार्यों में सहयोग करें और प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें। जो लोग खतरे वाले क्षेत्रों में रह रहे हैं, उन्हें राहत शिविरों की ओर स्थानांतरित होने की सलाह दी गई है। असम इस संकट से उबरने की कोशिश कर रहा है, लेकिन इसके लिए सामूहिक प्रयास और सतर्कता की आवश्यकता है।
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