विजय माल्या, जिन्हें कभी “किंग ऑफ गुड टाइम्स” कहा जाता था, नौ साल बाद मीडिया में वापस लौटे—और वो भी एक धमाकेदार चार घंटे के पॉडकास्ट इंटरव्यू के जरिए। राज शमानी के पॉपुलर यूट्यूब शो Figuring Out में माल्या ने पहली बार खुलकर अपनी बात रखी। लेकिन यह वापसी जितनी “सच्चाई” के नाम पर प्रचारित हुई, उतनी ही ज़्यादा इसे सोशल मीडिया पर एक “PR स्टंट” कहा गया।
माल्या ने कहा कि वह भारत से भागे नहीं थे, बल्कि तय कार्यक्रम के तहत देश से बाहर गए थे। उन्होंने खुद को “फ्यूजिटिव” मानने से इनकार नहीं किया, लेकिन “चोर” जैसे शब्दों का विरोध किया। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने बैंकों को कर्ज लौटाने की कई बार कोशिश की, लेकिन बैंकों ने उनकी पेशकश को नामंजूर कर दिया। उनका कहना था कि वे भारत वापस आना चाहते हैं, लेकिन “फेयर ट्रायल” और सम्मानजनक व्यवहार की गारंटी मिलनी चाहिए।
पॉडकास्ट के दौरान माल्या ने किंगफिशर एयरलाइंस की कहानी बताई—कैसे उन्होंने एक सपना देखा, उसे साकार किया, लेकिन फिर उसे उड़ान नहीं मिल सकी। उन्होंने दावा किया कि बिजनेस का फेल होना कोई अपराध नहीं है और उन्हें “क्रिमिनल” बना देना गलत है। पर जब बात कर्मचारियों की सैलरी और आम लोगों की बर्बादी की हुई, तो माल्या ने माफ़ी सिर्फ तभी दी जब उनसे सवाल पूछा गया। उन्होंने कानून और अदालत के आदेशों का हवाला देकर जिम्मेदारी से खुद को दूर रखने की कोशिश की।
इंटरव्यू के दौरान जो बात लोगों की आंखों में सबसे पहले चुभी, वो थी माल्या की ₹40 लाख की लिमिटेड एडिशन घड़ी। यह घड़ी उस समय की याद दिला गई जब उनके एयरलाइन के कर्मचारी अपने बकाया वेतन के लिए संघर्ष कर रहे थे। इसने एक साफ संदेश दिया—चाहे नाम कितना भी खराब हो गया हो, लक्ज़री अब भी बनी हुई है।
इस पूरी बातचीत में राज शमानी का रवैया भी सवालों के घेरे में आया। राज को एक ऐसे होस्ट के तौर पर देखा जाता है जो युवाओं को प्रेरित करता है, लेकिन इस एपिसोड में उन्होंने माल्या से कई जरूरी सवाल पूछने से परहेज़ किया। जहां लोगों को एक तीखा इंटरव्यू देखने की उम्मीद थी, वहां उन्हें एक सहानुभूतिपूर्ण बातचीत मिली। यही कारण है कि कई लोगों ने इसे “इमेज क्लीनिंग का प्रोजेक्ट” कहा।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं मिली-जुली रहीं। कुछ लोगों ने कहा कि माल्या की बात सुननी चाहिए और उनकी सफाई का हक है, वहीं कुछ ने इसे “पॉडकास्ट के नाम पर प्रचार” कहा। ट्विटर और रेडिट पर कई यूज़र्स ने राज शमानी को “इंटरव्यूअर नहीं, PR एग्जीक्यूटिव” कहा। वहीं, कुछ ने मज़ाक में लिखा कि “RCB के जीतते ही माल्या की इमेज भी चमक गई।”
अंत में, विजय माल्या का यह पॉडकास्ट इंटरव्यू एक जरूरी चर्चा की शुरुआत जरूर करता है—क्या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स अब विवादास्पद लोगों के लिए नया “क्लीन अप ज़ोन” बन गए हैं? क्या पॉपुलैरिटी और प्रोडक्शन वैल्यू के चलते जवाबदेही गायब हो रही है? विजय माल्या की इस वापसी ने उनकी छवि बदलने की कोशिश तो जरूर की, लेकिन यह जनता को कितनी सच लगी, इसका फैसला आने वाला वक्त और इंटरनेट करेगा।
विजय माल्या ने ट्विटर पर पोस्ट कर 4 घंटे लंबे पॉडकास्ट पर यूट्यूब व्यूज के लिए आभार व्यक्त किया |
यह वापसी सच्चाई से ज़्यादा रणनीति लगती है—और यही बात लोगों के गले नहीं उतर रही।
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