मुंबई में एयर इंडिया फ्लाइट 171 के हादसे के बाद एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है, क्योंकि दूसरा ब्लैक बॉक्स मिल गया है। यह ब्लैक बॉक्स जांचकर्ताओं के लिए हादसे के कारणों की गहराई से पड़ताल करने में अत्यंत महत्वपूर्ण होगा।
पहला ब्लैक बॉक्स पहले ही प्राप्त किया जा चुका था, और अब दूसरा ब्लैक बॉक्स मिलने से जांच को नई दिशा मिलेगी। इससे फ्लाइट के टेकऑफ से लेकर दुर्घटना तक के सभी पहलुओं पर विस्तृत जानकारी प्राप्त हो सकेगी।
ब्लैक बॉक्स की भूमिका
- फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR): यह विमान के तकनीकी डेटा को रिकॉर्ड करता है, जैसे कि गति, ऊंचाई, नियंत्रण सतहों की स्थिति आदि।
- कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर (CVR): यह विमान के कॉकपिट में हुई बातचीत और आवाजों को रिकॉर्ड करता है, जिससे पायलटों की बातचीत और आपातकालीन स्थितियों को समझा जा सकता है।
दूसरे ब्लैक बॉक्स के मिलने से फ्लाइट की तकनीकी और संचार दोनों पहलुओं की जांच को मजबूती मिलेगी। इससे हादसे के पीछे छिपे कारणों का खुलासा होने की संभावना बढ़ जाती है।
जांच प्रक्रिया
- ब्लैक बॉक्स से डाटा का संग्रहण और विश्लेषण।
- पायलटों की बातचीत और विमान के तकनीकी प्रदर्शन की जांच।
- एयरलाइंस और विमान निर्माता के साथ सहयोग।
- फाइनल रिपोर्ट तैयार कर विमानन सुरक्षा के लिए सुझाव प्रस्तुत करना।
मुंबई के हवाई अड्डे पर हुई दुर्घटना की जांच में यह नया विकास यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है। जांच दल की टीम जल्द ही ब्लैक बॉक्स के डाटा का विश्लेषण शुरू कर देगी, जिससे हादसे से संबंधित नई जानकारियाँ सामने आ सकेंगी।
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