आज का दिन भारत के लिए बहुत गर्व का दिन है। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जो भारतीय वायुसेना के अफसर हैं, आज अंतरिक्ष के लिए रवाना हो गए। वह भारत के दूसरे नागरिक हैं जो अंतरिक्ष की यात्रा कर रहे हैं। उनसे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने यह उपलब्धि हासिल की थी। शुभांशु Axiom Mission-4 के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक जाएंगे।
यह ऐतिहासिक मिशन अमेरिका के फ्लोरिडा में स्थित Kennedy Space Center से SpaceX के Falcon-9 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया। शुभांशु के साथ तीन और अंतरिक्ष यात्री भी इस मिशन में शामिल हैं – अमेरिका की अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोज़ उज्नांस्की-विस्निएव्स्की और हंगरी के तिबोर कपु। यह टीम कुल मिलाकर 14 दिन तक अंतरिक्ष में रहेगी और कई वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगी।
इस मिशन में करीब 60 वैज्ञानिक प्रयोग किए जाएंगे, जिनमें से 7 भारत के वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए हैं। इन प्रयोगों का उद्देश्य मानव स्वास्थ्य, माइक्रो ग्रैविटी में जैविक प्रक्रियाओं और तकनीकी उपकरणों की जांच करना है। इससे वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष के वातावरण को समझने और धरती पर उसकी उपयोगिता को साबित करने में मदद मिलेगी।
शुभांशु का यह मिशन भारत के महत्वाकांक्षी Gaganyaan कार्यक्रम के लिए एक मजबूत नींव तैयार करेगा, जिसमें 2027 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्री स्वदेशी तकनीक से अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे। Gaganyaan मिशन भारत का पहला स्वदेशी मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन होगा, और शुभांशु जैसे अनुभवी अधिकारियों का अंतरराष्ट्रीय मिशनों में अनुभव उस परियोजना के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगा।
Axiom-4 मिशन की शुरुआत भारत और अमेरिका की साझेदारी में हुई है, जिसे ‘आकाश गंगा’ पहल के नाम से जाना जाता है। इसकी घोषणा जून 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान की गई थी। इस पहल के तहत भारत के अंतरिक्ष यात्रियों को अमेरिकी प्रशिक्षण और अंतरराष्ट्रीय अनुभव मिल रहा है। इससे दोनों देशों के बीच विज्ञान, तकनीक और रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा मिल रहा है।
शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा सिर्फ एक मिशन नहीं है, बल्कि यह भारत की अंतरिक्ष विज्ञान की नई उड़ान की शुरुआत है। इससे यह संदेश भी जाता है कि भारत अब केवल रॉकेट भेजने तक सीमित नहीं है, बल्कि अंतरिक्ष में मानव संसाधन भेजने की दिशा में भी अग्रसर है। यह हर भारतीय के लिए गर्व और प्रेरणा का क्षण है।
आज जब पूरी दुनिया की निगाहें इस मिशन पर टिकी हैं, भारत एक बार फिर साबित कर रहा है कि हम वैज्ञानिक प्रगति और तकनीकी उन्नति में किसी से पीछे नहीं हैं। देश के युवा अब न केवल अंतरिक्ष के सपने देख रहे हैं, बल्कि उन्हें सच भी कर रहे हैं।
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